प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी द्वारा देश की जनता से कोरोना वायरस से बचाव के सम्बन्ध में अपने
सन्देश में अनेक बातें, सुझाव, सावधानियाँ बताते हुए 22 मार्च,
रविवार को जनता कर्फ्यू की बात कही. उन्होंने अपील की कि इस एक दिन सभी लोग सुबह
सात बजे से रात नौ बजे तक अपने-अपने घरों में रहें. व्यापारिक प्रतिष्ठान न खोले
जाएँ. लोग सड़कों, बाजारों में न आयें. इसके पीछे का कारण समझ आ रहा था कि कोरोना
वायरस की वह कड़ी टूटेगी जो संक्रमित गति बढ़ाने का काम करती है. इसके बाद लगातार इस
बारे में चर्चाएँ की जाने लगीं. सभी लोग अपने-अपने तरह से इस बारे में जनता को,
नागरिकों को जागरूक करने लगे. मीडिया में, सोशल मीडिया में इसे लेकर लगातार विचार
विमर्श किया जाने लगा.
शहर
में हमारे कुछ साथियों ने अपने स्तर पर लोगों को जागरूक करने का विचार बनाया. कुछ
प्रचार सामग्री, जागरूकता फ़ैलाने वाले पैम्फलेट छपवाए गए और उनका वितरण विगत दो
दिनों में किया गया. इस दौरान सभी की प्रतिक्रिया सकारात्मक ही मिली. इसके बाद भी
बहुत से लोगों को आशंका थी कि जनता कर्फ्यू उरई में शत-प्रतिशत नहीं रहेगा. कुछ
लोग तो अवश्य ही दुकान खोलेंगे. आज जबकि वह दिन आया, मीडिया मित्र के लिए कवरेज
करने के लिए दोपहर बारह बजे के बाद निकले तो बाजार की स्थिति देखकर सुखद अनुभूति
हुई. बाजार सौ प्रतिशत रूप से बंद था. सड़कों पर लोगों की आवाजाही भी नहीं थी. अपने
शहर के एक विशेष बाजार के प्रति सभी आशंका व्यक्त कर रहे थे मगर वहाँ भी किसी तरह
की कोई दुकान नहीं खुली थी. न कोई बड़ी दुकान, न कोई छोटी दुकान, न कोई रेहड़ी वाला,
न कोई गुमटी वाला, न कोई हाथठेला वाला. सबके सब मोदी की अपील का जैसे अक्षरशः पालन
कर रहे थे.
इस
अपील के साथ एक और अपील की गई थी मोदी जी के द्वारा. कोरोना वायरस से संक्रमित
लोगों के इलाज में तत्पर सभी डॉक्टर्स के सम्मान में, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त
करने के लिए शाम पाँच बजे पाँच मिनट के लिए थाली, ताली, घंटा, शंख आदि बजाने के
लिए. इस अपील का भी देशव्यापी असर देखने को मिला. हमारे मोहल्ले के साथ-साथ कई
शहरों, राज्यों में निवास कर रहे मित्रों, रिश्तेदारों आदि के द्वारा जो चित्र,
वीडियो देखने को मिले उसने साबित कर दिया कि देश पर किसी भी तरह की मुसीबत के समय
हम सब एक होते हैं. जिस उत्साह से, उमंग से शाम को शंखनाद हुआ वह बताने को
पर्याप्त था कि हम सभी नागरिक मुसीबत में भी हँसते हुए अपना जीवन निर्वहन करते
हैं. वाकई अद्भुत नजारा कहा जायेगा. अपनी चालीस साल से ज्यादा की उम्र में ऐसा
नजारा कभी देखने को नहीं मिला. ऐसी बंदी कभी नहीं देखी, ऐसा शंखनाद करती जनता नहीं
देखी. कोरोना वायरस की मुसीबत अपनी जगह और हम सभी नागरिकों की एकजुटता अपनी जगह.
इसने साबित किया कि हर बार की तरह हम इस बार भी जीतेंगे. मुसीबत को हराकर मानेंगे.
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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