23 फ़रवरी 2020

CAA विरोधी उत्पातियों पर सख्ती क्यों नहीं?


CAA पर काफी लम्बे समय से दिल्ली के शाहीन बाग पर कब्ज़ा जमाकर बैठे अनशनकारियों के साथ अदालती वार्तालाप निष्फल ही निकली. इसका कोई सुफल निकलता तो दिखा नहीं बल्कि दिल्ली में अन्यत्र जाफराबाद में भी इसी तरह सड़क जाम करके उत्पात मचाने की खबर सामने आई है. शाहीन बाग़ से पहले भी लगभग सम्पूर्ण देश में CAA के नाप पर मुसलमानों द्वारा, गैर-भाजपाइयों द्वारा उत्पात मचाया जाता रहा है. ऐसा आज भी छुटपुट रूप में यहाँ-वहाँ हो रहा है. सोचने वाली बात है कि आखिर ऐसे लोगों ने देश को क्या धर्मशाला समझ रखा है? ऐसे लोगों ने क्या देश को अपनी उत्पाती फितरत को पूरा करने का मैदान समझ लिया है? इसके साथ-साथ समझ नहीं आ रहा है कि आखिर प्रशासन क्या कर रहा है? अदालत इसके लिए कोई ठोस और सशक्त आदेश क्यों नहीं देती है? उत्पात मचाते लोगों से, एक लम्बे समय से सड़क जाम करके लाखों लोगों के लिए परेशानी पैदा करने वाले लोगों से आखिर वार्ता का औचित्य क्या है? 

इस मसले पर केन्द्र सरकार को, दिल्ली सरकार को कड़े से कड़ा कदम उठाया जाना चाहिए. यदि जल्द ही इस तरह से बनते जा रहे शाहीन बाग, जाफराबाद को हटाया नहीं गया तो ये प्रदर्शन समूचे देश में एक नजीर की तरह पेश किये जायेंगे. ये आने वाले समय के लिए, देश के लिए सुखद संकेत नहीं है.



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