22 फ़रवरी 2020

ब्लॉगिंग की वापसी के शुभ संकेत के पार्श्व में अनहोनी का भय

पहले भी कई बार, कई अवसरों पर इसकी चर्चा हम कर चुके हैं कि कैसे इंटरनेट से परिचय बना और उसके बाद कैसे बड़े डरते-डरते ब्लॉगिंग आरम्भ की गई. इस मई में पूरे बारह वर्ष हो जायेंगे ब्लॉगिंग करते हुए. हालाँकि ब्लॉग अप्रैल में ही बना लिया गया था मगर कुछ अज्ञात से भय हावी थे, सो किसी तरह की पोस्ट नहीं लिखी गई. बहरहाल, एक बार ब्लॉगिंग आरम्भ हुई तो फिर आज तक रुकी नहीं है. ब्लॉगिंग के उस दौर में ब्लॉग बनाये जाने के बाद उसे लोगों पर पहुँचाना समझ से बाहर था. खोजबीन के दौरान ब्लॉग एग्रीगेटर जैसा कोई शब्द सुनाई दिया और फिर उससे जुड़कर न केवल अपने ब्लॉग की पहुँच अन्य लिखने वालों तक पहुँचाई वरन उनके ब्लॉग तक भी अपनी पहुँच बनाई. ब्लॉगिंग के उस दौर में लोगों की सक्रियता देखते ही बनती थी. कुछ नाम ब्लॉगिंग के उस्ताद माने-समझे जाते थे. उनका किसी ब्लॉग पर, खासतौर से नए ब्लॉगर के ब्लॉग पर, जाना ही अपने आपमें उपलब्धि बन जाया करती थी. कुछ नाम ऐसे मिले उस दौरान जो बहुत सहज समझ आये और कुछ जरा खुर्राट टाइप के भी मिले.

आज ये सारी बातें इसलिए क्योंकि ब्लॉगिंग ज़माने के बहुत से मित्र आज फेसबुक पर आपस में जुड़े हुए हैं. बहुत से लोग ब्लॉगिंग में कम सक्रिय हैं, कुछ गायब जैसे हैं और कुछ अभी भी पूरी तरह से सक्रिय हैं. आज, दिल्ली ऐसे कुछ ब्लॉगर्स के मिलन की साक्षी बनी. उन्हीं पलों को अनेक मित्रों ने फेसबुक पोस्ट पर शेयर किया. यही हास्यास्पद सा लगा कि चिंता ब्लॉग-लेखन की, ब्लॉगिंग की और पोस्ट आई फेसबुक के द्वारा. महसूस हुआ कि किसी समय में जबरदस्त सक्रिय रहे ब्लॉग लेखकों के लिए भी अब ब्लॉगिंग से ज्यादा असरकारी फेसबुक हो गया है. लोगों तक जल्द पहुँच बनाने वाला माध्यम फेसबुक हो गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि उस दौर में हर छोटी-बड़ी खबर, घटना ब्लॉग के माध्यम से ही सबके बीच आती थी. आज भी अच्छा होता कि किसी ब्लॉग मित्र के द्वारा यह जानकारी ब्लॉग-पोस्ट के द्वारा आती, भले ही उसके प्रसार के लिए सहारा फेसबुक का लिया जाता. इसमें कोई दोराय नहीं कि आज फेसबुक बहुत ही ज्यादा असरकारी माध्यम बन गया है. इसकी इसी तेजी, जल्द पहुँच ने ही ब्लॉगिंग को जैसे खा लिया है.


दिल्ली में ब्लॉग-मित्रों के समागम ने आपस में बहुत से बिन्दुओं पर चर्चा की. ब्लॉगिंग को फिर से जिन्दा करने पर जोर दिया. ब्लॉग जगत के उस समय के मित्रों को पुनः वापस एकजुट करने, एकसूत्र में बाँधने सम्बन्धी प्रयास करने की बात कही. इसी में एक कदम ब्लॉग अकादमी बनाये जाने जैसा भी उठा. इसका स्वरूप क्या होगा, इसका सञ्चालन कैसे होगा, इसका कार्य क्या होगा इसके बारे में संभवतः आगे पता चलेगा. मन सशंकित हुआ कहीं ब्लॉग अकादमी का हाल ब्लॉग एग्रीगेटर जैसा न हो जाये? बहरहाल, ऐसा कोई भी कदम जो फिर से ब्लॉग मित्रों को आपस में जोड़ सके, बेहतर ही कहा जायेगा किन्तु इस विचार से मन में कुछ उथल-पुथल सी मची और आज की ये पोस्ट लिख दी गई.

यदि हम सभी, जो लोग ब्लॉगिंग के समय से सक्रिय हैं, बिना किसी पूर्वाग्रह के देखें तो उस दौर में और आज के दौर में बहुत बड़ा अंतर आ गया है. हम सभी तब भी राजनैतिक विचारधाराओं से कहीं न कहीं पल्लवित-पुष्पित थे. (ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीज को फेसबुक ने नहीं रोपा है बल्कि उसे हवा-खाद-पानी देकर एक वृक्ष बना दिया है.) अब हालत ये है कि हम सभी सिर्फ राजनैतिक विचारधाराओं के साथ ही अपने आपको संचालित करने में लगे हैं. आखिर फेसबुक ने क्या बदल दिया था? लिखने की सुविधा यहाँ भी रही. फोटो-वीडियो लगाने की सुविधा भी रही. आपस में जुड़े रहने का आसान माध्यम बना. एक-दूसरे की पोस्ट पर टिप्पणी करना, उस पर प्रतिक्रिया देना, उसे शेयर करना ब्लॉगिंग से कहीं ज्यादा आसान यहाँ रहा. जब सबकुछ ब्लॉगिंग की तरह से ही था तो फिर इस मंच पर आने के बाद आपस में खटास कहाँ से आ गई? इसके बाद भी ऐसा क्या हो गया कि हम सब अपनी-अपनी राजनैतिक विचारधाराओं के झंडे लेकर अलग-अलग खेमे में बंट गए? पिछले कुछ सालों में अपने समय के प्रतिष्ठित ब्लॉगर्स खेमेबंदी करते, एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाते, रिपोर्ट करने की धमकी देते तक देखे गए हैं.

इस तरह की हरकतें ब्लॉगिंग के समय से ही होने लगी थीं. शायद बुजुर्गों का कहना यहाँ भी सही हो रहा था कि जहाँ ज्यादा गुड़ होगा वहाँ चीटियाँ आएँगी हीं. यहाँ भी आईं और उन्होंने काटना शुरू भी किया. ब्लॉग एग्रीगेटर को लेकर चले विवाद किसी भी सक्रिय ब्लॉगर से छिपे नहीं होंगे. सामूहिक ब्लॉग के आने के बाद की खेमेबंदी भी किसी से छिपी नहीं है. ब्लॉग पोस्ट के दौरान उभरे मतभेद लगातार मनभेद की तरफ बढ़ने उसी दौर में शुरू हो गए थे. सामूहिक ब्लॉग के माध्यम से, खेमेबंदी के द्वारा, ब्लॉग एग्रीगेटर में पक्षपात को लेकर चली घटनाओं से उसी समय दक्षिणपंथी, बामपंथी होने का साफ़-साफ़ इशारा दिखाई देने लगा था. गुटबंदी के द्वारा कैसे किसके ब्लॉग को आगे बढ़ाना है, किसकी ब्लॉग-पोस्ट की रैंकिंग को घटाना है, कैसे सामूहिक तौर पर किसी को विवाद में घसीटकर अपमानित करना है आदि-आदि उस दौर में भी चलने लगा था. ब्लॉग से जुड़े लोगों का समागम उस समय भी हुआ करता था. दो-चार आरंभिक आयोजनों को छोड़कर बाद में ज्यादातर मामलों में किसी न किसी विवाद का उदघाटन होता रहा.

इन सबके बीच भी बहुत से ब्लॉग मित्र ऐसे रहे जो अपनी मित्रता को सर्वोपरि रखते हुए ब्लॉग लेखन को बढावा देने में लगे थे, संबंधों में परिपक्वता बनाये हुए थे. मिलने-मिलाने के दौर चलते रहे. ऐसे लोग ही ब्लॉग लेखन की, ब्लॉगिंग की चिंता भी करते रहे. फेसबुक में जुड़ जाने के बाद भी ब्लॉगिंग के समय को नहीं भूले. आज, 22 फरवरी को जिस मनोदशा के साथ सभी वरिष्ठजनों का, ब्लॉगर जगत के प्रतिष्ठित लेखकों का, मित्रों का मिलना हुआ, समागम हुआ, विचारों का प्रवाह बना, ब्लॉगिंग को वापस जीवन देने जैसा संकल्प-भाव दिखा वह शुभ संकेत है. यह शुभ-संकेत शुभ ही शुभ हो, यही आकांक्षा है. 

हमारा तो जाना नहीं हुआ मगर इसी पोस्ट के माध्यम से एक सुझाव यही कि जो मित्र भी ब्लॉगिंग के समय को वापस लाना चाहते हैं वे आज भी भले ही छोटी सी पोस्ट लिखें मगर अपने ब्लॉग पर लिखें. अधिकाधिक लोगों तक उसकी पहुँच बनाने के लिए फेसबुक मंच का सहारा लिया जा सकता है. सभी ब्लॉग मित्र किसी न किसी रूप में फेसबुक पर कुछ न कुछ अवश्य ही लिख रहे हैं. बस उसी को ब्लॉग पोस्ट का रूप देकर ब्लॉगिंग को वापस जीवन प्रदान कर सकते हैं. आइये, एक कोशिश करके देखिये. ब्लॉग अकादमी जब बनेगी, तब बनेगी, तब तक आप अपने ब्लॉग के द्वारा ब्लॉगिंग तो कर ही सकते हैं.

9 टिप्‍पणियां:

  1. मैं तो ब्लॉग पर पोस्ट लिखती हूँ, लेख के दो चार पंक्तियों के साथ लेख के लिंक फेसबुक, ट्विटर पर लगाती हूँ. 15 साल के अपने रिसर्च के बाद अभी हमारा एप्प आया, तो पोस्ट कुछ अधिक ही लिखी जा रही हैं. ब्लॉग्गिंग को सुधारने के लिए जो भी कदम उठाये जायेंगे, मैं आप सबों के साथ रहूंगी.

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  2. कोशिश तो कर सकते बाकी हरि इच्छा।

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  3. सार्थक सुझाव। मगर हम तो आज भी ब्लॉग पर निरन्तर प्रतिदिन लिख रहे हैं।
    कभी इच्चारण ब्लॉग पर भी आइए।

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  4. तथ्यात्मक लेख। ब्लॉग लेखन को संजोये जाने की कोशिश अवश्य होनी चाहिए ।
    आदरणीय राजा कुमारेन्द्र जी की भावनाओं से मैं पूर्णतः सहमत हूँ ।
    ब्लॉग अकादमी की संकल्पना भी स्वागत योग्य है।
    बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 24 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. हम तो ब्लॉग पर आज भी लिख रहे हैं चाहे थोड़ा ही बहुत

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  7. सही कहा ब्लॉगिंग को बनाए रखने के लिए ब्लॉग पर ही लिखना चाहिए....
    बहुत सुन्दर सटीक लेख।

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  8. बहुत सुन्दर और सार्थक चिन्तन ।

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