समूचे परिवार के लिए वह ख़ुशी
का दिन था. परिवार की सबसे बड़ी बेटी के विवाह सम्बन्धी आयोजनों का शुभारम्भ हुआ
था. बड़े-छोटे सभी प्रसन्न होने के साथ-साथ अत्यंत ऊर्जावान लग रहे थे. संयुक्त
परिवार की यही विशेषता होती है कि आयोजन छोटा हो या बड़ा, सभी उसमें अपने अधिकाधिक
अंश के साथ जुड़ कर अपना सम्पूर्ण देने का प्रयास करते हैं. बचपन से ही परिवार की
संयुक्त अवधारणा देखते रहने के कारण वही ख़ुशी, प्रसन्नता, उल्लास, उमंग सभी बच्चों
पर भी हावी था. दो दशक से अधिक समय के बाद परिवार में वैवाहिक मांगलिक कार्य का
शुभारम्भ होने जा रहा था. सबसे छोटे चाचा के विवाह के बाद ये पहला अवसर था जबकि
परिवार में ऐसा कोई आयोजन होने जा रहा था.
मांगलिक आयोजन का प्रथम चरण
संपन्न करने के बाद हम सभी परिजन शाम को बैठे हँसी-ख़ुशी में बैठे थे. उसी समय चाचा
की तरफ से लगभग धमाका सा किया गया. धमाका इसलिए क्योंकि हमने अपने जीवन के
पच्चीस-छब्बीस वर्षों में ऐसा कुछ होते देखा नहीं था. बाकी सदस्यों के लिए क्या,
कैसी स्थिति रही होगी मगर हमारे लिए एकदम से हतप्रभ करने वाली स्थिति थी. बातचीत
के दौर चल रहे थे, बड़े अपनी भूमिका, आगे की क्या स्थिति बननी है, कैसे काम करना है
आदि पर चर्चा करने में लगे थे, चाची लोग अपने-अपने स्तर की कार्यवाही को अंजाम दे
रही थीं, हम बच्चे लोग अपने-अपने ढंग से हाहा-हीही करने में लगे थे. व्यक्तिगत
हमारी स्थिति यहाँ, उस समय कुछ अलग से थी. यदि परिवार की सबसे बड़ी बिटिया के विवाह
की तैयारियाँ चल रही थीं तो बिना बड़े बेटे के कैसे निपट सकती थीं. हमारे लिए
गौरवान्वित करने वाला दिन था कि किसी और समय (स्नातक, परास्नातक होने के बाद भी)
छोटे होने, बच्चों में शुमार होने की स्थिति से दो-चार होने वाले हम उस दिन पिताजी,
चाचा लोगों के साथ बैठ कर विवाह सम्बन्धी कार्यों के बारे में चर्चा कर रहे थे.
हमारे लिए व्यक्तिगत तौर पर
उस दिन आश्चर्यजनक था और आज तक आश्चर्यजनक बना हुआ है. ऐसा इसलिए क्योंकि वो पहला
और आखिरी दिन था जबकि हमने पिताजी का जन्मदिन मनाया. आज अचानक से पुराने फोटो
देखने का मन कर गया. इसी में पिताजी के उस जन्मदिन के आयोजन की फोटो भी सामने आईं.
संभव है कि आज 17
फरवरी होने के कारण ऐसा मन कर गया हो. पिताजी को हमसे दूर हुए ही
पन्द्रह वर्ष हो चुके हैं मगर बीस साल पहले पिताजी का मनाया जन्मदिन आज भी आँखों
के सामने ऐसे जीवंत है, जैसे आज, अभी की बात हो. आज, 17 फरवरी
को पिताजी के जन्मदिन पर उनको सादर नमन.
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