01 जनवरी 2020

नववर्ष की औपचारिकता


लोगों का उत्साह, लोगों की उमंग, लोगों की आकुलता देखकर लग रहा है जैसे उन सभी लोगों के लिए जाने वाला साल सकारात्मक रहा होगा या फिर उनके द्वारा अपने आपसे सोचे गए कार्य अधिकतम रूप में सफलता को प्राप्त किये होंगे. यदि ऐसा नहीं है तो फिर नए साल के स्वागत के लिए, उसके आने के लिए इतना उत्साह क्यों? आपस में शुभकामना संदेशों का इतना तीव्र आदान-प्रदान क्यों? सबसे पहले मैं की तर्ज़ पर 2019 के रहते-रहते नववर्ष शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान क्यों? नए साल का स्वागत करना एक परम्परा सी बन गया है. यह भी आज के दौर में एक तरह की औपचारिकता बन गई है. सोशल मीडिया के इस तकनीक भरे युग में यह भी जबरदस्त औपचारिकता हो गई है. पुराने वाले साल में ही शाम से ही मोबाइल-कम्यूटर पर बैठकर दुनिया भर को शुभकामना सन्देश भेज कर अपने आपको सामाजिकता की श्रेणी में सबसे आगे लाकर साल भर के लिए किसी भी व्यावहारिकता से मुक्त कर लेते हैं.

इस तरह की औपचारिकता के बीच हम आज तक यह नहीं समझ सके हैं कि आखिर नए साल की शुभकामनाओं के आदान-प्रदान करने के पीछे का मुख्य मकसद क्या होता है? क्या वाकई हम सभी दिल से एक-दूसरे को शुभकामनायें देते हैं या फिर इसे भी महज औपचारिकता में निपटा लेते हैं? क्या वाकई हमारी शुभकामनायें या दूसरे की शुभकामनायें हमारे लिए शुभ होती हैं? बिना यह जाने कि बीता हुआ साल या फिर तमाम बीते साल किस तरह और कितने शुभ निकले, कितनी खुशियों भरे निकले हम सभी औपचारिकता में लिपट कर बस शुभकामना देने-लेने में लगे हुए हैं. क्या इस बार भी हम सभी ऐसा कर चुके हैं? क्या इस बार भी हम सभी बिना सही-गलत सोचे महज औपचारिकता में बहे जा रहे हैं?

फिलहाल, आज नए साल के आगमन पर ऐसा कुछ भी कहना-सुनना किसी को पसंद नहीं आएगा. जैसी कि औपचारिकता है, उसी का पालन आपके लिए हम भी किये जाते हैं, अपने एक शुभकामना सन्देश के साथ--

सूर्य रश्मियाँ स्वर्णिम-मधुरिम,
आनंदित कर दें घर-आँगन.
सुख, समृद्धि, वैभव, खुशियों संग,
वर्ष नया रहे मनभावन.


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