"ज़िन्दगी और मौत तो ऊपर वाले के हाथ हैं जहाँपनाह" कुछ इसी तरह के संवाद हैं किसी फिल्म में. उसमें एक सीन में ही व्यक्ति को उसकी ज़िन्दगी और मौत के बारे में समझाने की कोशिश की गई है. ऐसे ही बहुत से सीन और गीत हैं जिनमें ज़िन्दगी और मौत को लेकर तमाम दार्शनिक बातें कही गईं हैं. ऐसा लगता है जैसे मौत कोई बहुत ही खूबसूरत चीज हो और जिसके लिए व्यक्ति जानबूझ कर ज़िन्दगी को छोड़ देता है. ऐसा वास्तविकता में नहीं होता और न ही ऐसा है. ज़िन्दगी हमेशा खूबसूरत रही है और रहेगी बस उसमें दार्शनिकता का पुट जोड़ते हुए उसे मौत के साथ संदर्भित करते हुए मौत को बेहतर बताया गया है, हसीन बताया गया है.
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