वर्ष 2025 भी जाने की तैयारी कर रहा है. जितने दिन इस अंतिम महीने में निकल गए
हैं, अब उतने दिन भी शेष
नहीं बचे हैं. समय की गति के अनुसार आना और जाना लगा ही रहना है. कल को इसी वर्ष
का स्वागत किया था, अब इसी को विदा करने का समय आ गया है.
कुछ ऐसा ही आने वाले वर्ष 2026 के साथ भी होगा. इन आते-जाते वर्षों के स्वागत और
विदाई के बीच याद बस यही रह जाता है कि उस एक वर्ष में हम सबने क्या किया? क्या पाया, क्या खोया? क्या
सुखद रहा, क्या दुखद रहा?
आप सभी सुधिजनों को याद होगा कि वर्ष 2019 में आत्मकथा ‘कुछ सच्ची कुछ झूठी’ आपके बीच हमारी बातों को लेकर उपस्थित हुई थी. उसी समय हमारे शुभेच्छुजनों ने प्रेरित किया था कि वर्ष 2005 में हुई दुर्घटना के बाद की अपनी जीवन-यात्रा को भी एकसूत्र में पिरोकर प्रकाशित करवाया जाये. विचार तो था कि वर्ष 2020 में इसे भी ‘ज़िन्दगी जिन्दाबाद’ के रूप में प्रकाशित करवाया जायेगा. अक्सर ऐसा होता है कि सोचा कुछ जाता है और हो कुछ जाता है, हमारे साथ भी यही हुआ. ज़िन्दगी जिन्दाबाद का घोष करने बैठे तो हाथों ने काँपना शुरू कर दिया, आँखों ने नम होना शुरू कर दिया, दर्द ने अपना अलग रूप दिखाना शुरू कर दिया. इन सबके बीच कुछ दुखद घटनाओं ने हिला दिया और ज़िन्दगी जिन्दाबाद को बीच में रोक देना पड़ा. यद्यपि समय के दिए गए आघातों से उबरते हुए ज़िन्दगी जिन्दाबाद को ब्लॉग पर कहानी के रूप में लिखते रहे.
इसी लेखन को एडिट करके, पुस्तक के रूप में संयोजित करके इस जाते हुए वर्ष 2025 में आप सबके बीच
लाने का मन बना लिया है. जल्दी ही ‘ज़िन्दगी जिन्दाबाद’ को आप
सब अपने बीच पाएँगे. ‘कुछ सच्ची कुछ झूठी’ की तरह आप सबका
स्नेह ‘ज़िन्दगी जिन्दाबाद’ को भी मिलेगा, ऐसा विश्वास है.


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