वर्तमान दौर में पर्यावरण असंतुलन की सबसे बड़ी समस्या ग्लोबल वॉर्मिंग
है. इस कारण से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, जिससे मानव जीवन के कदम विनाश की ओर बढ़
रहे हैं. ऐसे में अगर हमने पर्यावरण को बचाने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया तो वह
दिन दूर नहीं, जब हमारा अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा.
पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सभी के बहुत छोटे-छोटे प्रयास भी बहुत बड़े साबित हो
सकते हैं. इसके लिए हम सभी निम्न कदम अपना सकते हैं -
(1) नागरिकों को पौधारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाये. भले
ही कम पौधे लगाये जाएँ किन्तु उनकी विधिवत देखभाल की जाये. अपने पारिवारिक सदस्यों
के जन्मदिन या किसी भी यादगार क्षण पर पौधे लगाकर उन यादों को चिरस्थायी बनाया
जाये.
(2) मकान बनाते समय पेड़-पौधारोपण के लिए अतिरिक्त जगह छोड़ी जा
सकती है. जहाँ वर्तमान में जगह नहीं है वहां अपने आंगन में थोड़ी सी जगह में गमलों
के द्वारा हरियाली की जा सकती है. यही तापमान कम करेगी.
(3) पॉलिथीन से प्रदूषण फैलता है अत: पॉलिथीन का उपयोग न करते
हुए रद्दी-पेपर से बनी थैलियों और कपड़े से बनी थैली और बैग्स का उपयोग ज्यादा से ज्यादा
करना चाहिए.
(4) पर्यावरण जागरूकता हेतु जल-संरक्षण भी आवश्यक है. इसके
लिए हम सभी को कम से कम पानी का उपयोग करना चाहिए. शॉवर की जगह बाल्टी में पानी लेकर
नहाएं. आंगन या फर्श सीधे पानी से धोने की बजाए झाडू लगाकर बाद में पोंछा लगा सकते
हैं.
(5) घर में नल को टपकने न दें. प्लम्बर बुलाकर तुरंत ठीक करवाएं.
इसके साथ-साथ सार्वजनिक जगहों में बहते नल को बंद करके पानी बचाया जा सकता है.
(6) घर के कचरे को बाहर खुले में फेंकने से बचा जाये. इसके
साथ-साथ गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग जगहों पर एकत्रित किया जाना चाहिए.
(7) जल-संरक्षण के साथ-साथ बिजली की बजट करके भी पर्यावरण
जागरूकता लाई जा सकती है. ऑफिस हो या घर बिजली का किफायती उपयोग करें. कमरे से बाहर
निकलते समय बिजली से चलने वाले सभी उपकरण बंद कर दें.
(8) एसी, फ्रिज खरीदते समय ध्यान रखें कि
ऐसे उपकरण पर्यावरण को नुकसान न पहुँचायें. विद्युत उपकरणों का समय-समय से रखरखाव करें.
(9) इसके साथ-साथ घर-घर जाकर लोगों को पर्यावरण बचाने के प्रति
जागरूक किया जा सकता है. जिससे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने से प्रकृति
की रक्षा करने में मदद मिलेगी.
(10) इसी तरह नई पीढ़ी को प्रकृति, पर्यावरण,
पानी व पेड़-पौधों का महत्व समझाएं. उनको इसके प्रति संवेदनशील बनायें.
पृथ्वी हरी भरी होगी तो पर्यावरण स्वस्थ होगा, पानी की प्रचुरता
से जीवन सही अर्थों में समृद्ध व सुखद होगा.
पर्यावरण संरक्षण हेतु आवश्यक नहीं कि सिर्फ एक दिन विशेष पर ही जागरूक हुआ जाये. रोज ही छोटे-छोटे कदमों से, सामान्य से उपायों के द्वारा पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है. आइये हम सब एकसाथ आगे बढ़ें.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें