09 मार्च 2019

एक जीवन, कई रंग


दर्द
निभाता है
अबूझ सा रिश्ता हमसे,
कभी आता है
दोस्त बन कर,
कभी दुश्मन हो जैसे.
+
ज़ख्म

साए की तरह
जुड़ गया हमसे,
छाया रहता है
तन-मन पर
दिन हो या घने अँधेरे.
+
कष्ट
जीत न सकेगा
कभी भी हमसे,
उसके हर रंग को
पी लिया हमने
घूँट-घूँट करके.
+
संघर्ष
करता है गलबहियाँ
कुछ इस तरह हमसे,
कृष्ण मिले थे
सुदामा से
बरसों बाद जैसे.
+
ख़ुशी
आती है पास
ये सीखने हमसे,
आँसुओं दुखों को
हँसने, मुस्कुराने का
हुनर लाएँ कैसे.
+
अस्तित्व
बनाने की कोशिश
हमारी हम से,
लड़ना, जीतना, हारना,
बिखरना, सहेजना
ख़ुद ही ख़ुद से.
+
मौत
लौट गई है
करके वादा हमसे,
आऊँगी तभी
जब पुकारोगे
मुझे दिल से.
+
ज़िन्दगी
करने लगी है
मुहब्बत हमसे,
अपने आगोश में
हर पल
रहती है घेरे.
+

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