दर्द
निभाता है
अबूझ सा रिश्ता
हमसे,
कभी आता है
दोस्त बन
कर,
कभी दुश्मन
हो जैसे.
+
ज़ख्म
साए की तरह
जुड़ गया हमसे,
छाया रहता
है
तन-मन पर
दिन हो या
घने अँधेरे.
+
कष्ट
जीत न सकेगा
कभी भी हमसे,
उसके हर रंग
को
पी लिया हमने
घूँट-घूँट
करके.
+
संघर्ष
करता है गलबहियाँ
कुछ इस तरह
हमसे,
कृष्ण मिले
थे
सुदामा से
बरसों बाद
जैसे.
+
ख़ुशी
आती है पास
ये सीखने
हमसे,
आँसुओं दुखों
को
हँसने, मुस्कुराने का
हुनर लाएँ
कैसे.
+
अस्तित्व
बनाने की
कोशिश
हमारी हम
से,
लड़ना, जीतना,
हारना,
बिखरना, सहेजना
ख़ुद ही ख़ुद
से.
+
मौत
लौट गई
है
करके वादा
हमसे,
आऊँगी
तभी
जब
पुकारोगे
मुझे दिल
से.
+
ज़िन्दगी
करने लगी
है
मुहब्बत
हमसे,
अपने
आगोश में
हर पल
रहती है
घेरे.
+
Very true lines
जवाब देंहटाएं