एक तरफ
कहा जाता है कि देश सभी का है, दूसरी तरफ ऐसे कदम उठाये जाते हैं जिससे लगता है कि
देश बस मुसलमानों का है, हिन्दुओं का तो है ही नहीं. ऐसा कोई आज से नहीं हो रहा है
वरन विगत कई वर्षों से ऐसा होता रहा है. एक समय था जबकि राजनीति में मुसलमानों को
महज वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया. इसके अलावा उनको किसी तरफ से मान्यता
तत्कालीन राजनैतिक दल ने या कहें कि सत्ताधारी दल ने न दी. समय-समय पर मुसलमानों
की भावनाओं को पाकिस्तान से जोड़कर, वहाँ के मुसलमानों से जोड़कर साबित करने का
प्रयास होता रहा कि भारत के हिन्दू पाकिस्तान के, पाकिस्तान के मुसलमानों के तो
दुश्मन हैं ही, इस देश के मुसलमानों के भी दुश्मन हैं. जरा-जरा सी बात को इतना तूल
दिया गया कि हिन्दू और मुसलमान के बीच फैलती नफरत आक्रामकता की हद तक जा चुकी है. इस
आक्रामकता को दूर करने के बजाय उसे और बढ़ाने की कोशिश की जाने लगी है.
हाल ही
में देखने में आया कि एक कश्मीरी दुकानदार के साथ मारपीट की घटना को ऐसे प्रसारित
किया गया जैसे कि वैश्विक आतंकवाद आ गया हो मगर केरल में, पश्चिम बंगाल में
हिन्दुओं पर हुई हिंसा पर यही लोग चुप साधे बैठे रहे. अख़लाक़ की मौत पर मीडिया सहित
तमाम लोग ऐसे विलाप कर रहे थे जैसे कि उनका ही बाप मरा हो मगर जब दिल्ली में कई-कई
मुस्लिम युवकों ने मिलकर एक डॉ० नारंग की खुलेआम हत्या कर दी तो सब ऐसे शांत रहे
जैसे कि कुछ हुआ ही न हो. अब जबकि सभी को दिख रहा है कि देश का बहुसंख्यक हिन्दू
युवा वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश को आगे ले जाना चाहता
है तब एक कपड़े धोने का सामान बनाने वाली कंपनी एक्सेल सर्फ़ विज्ञापन की आड़ में
हिन्दुओं पर हमला करने सामने आई है. यहाँ सभी राजनैतिक दल इस तथ्य को याद रखें कि
वर्तमान लोकसभ के चुनावों के समय में एक भी मुस्लिम व्यक्तियों को सांसदी का टिकट
नहीं दिया गया था मगर वर्तमान सत्ताधारी दल बहुमत के साथ केंद्र में विराजमान है.
यहाँ
मुस्लिम समुदाय को अब इस अहंकार को निकाल देना चाहिए कि उनका वोट सत्ता के लिए
आवश्यक है. वे महज एक वोट बने रहे हैं तो ये आवश्यक नहीं कि एक ही वोट हमेशा
प्रभावी रहे. प्रकृति सदैव परिवर्तन करती रहती है, बदलाव सदैव होते रहते हैं, समय
लगातार बदलता रहता है ऐसे में मुस्लिम समुदाय को बहकाने वालों को समझना होगा कि आज
का हिन्दू वो हिन्दू नहीं रहा जो बस चादरें चढाने में मगन है, दरगाहों में सिर
झुकाने में मगन है. आज का हिन्दू युवा वो है कि यदि तुमको तिलक लगाने से डर लगता
है तो वह रोज तिलक के साथ उपस्थित होगा. आज का हिन्दू युवा वो है कि यदि तुम
हिन्दू धर्म को बदनाम करने की कोशिश करोगे तो वह तुमको हमेशा के लिए समाज से बाहर
करवा देगा.
समझना
चाहते हो तो समझ जाओ, अन्यथा आगामी लोकसभा चुनाव के बाद विज्ञापन बनवाने वाली
स्थिति में भी न रह सकोगे.
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