18 मार्च 2019

तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई


तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई.... ये भले ही गीत की एक पंक्ति हो मगर अक्सर इसे किसी न किसी रूप में सत्य होते देखा जाता है. कभी-कभी लगता है किसी को देखकर, उससे मिलकर कि उस व्यक्ति से निश्चित ही कोई सम्बन्ध है, कोई रिश्ता है. कई बार दो आपसी परिचितों में भी इस तरह की बॉन्डिंग देखने को मिलती है कि ऐसा लगता है जैसे कि उनके बीच कोई अनजानी सी, कोई अप्रत्यक्ष सी डोर बंधी हुई है. उसी के सहारे वे दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. बिना कहे, समझाए एकदूसरे की बात जान जाते हैं, समझ जाते हैं. कई बार हम सभी ने ऐसा महसूस किया होगा कि किसी विशेष अवसर पर ऐसे किसी व्यक्ति से अचानक ही संपर्क हो जाता है, जिससे आप बेहद करीब से जुड़े हुए होते हैं. इसके लिए आवश्यक नहीं कि वह व्यक्ति आपके पास ही हो. कई बार सैकड़ों किमी दूर बैठे व्यक्ति से ऐसे संपर्क होता है, जैसे कि वह सामने ही बैठा हो. इसे महज संयोग कहकर नकारा नहीं जा सकता है. यह कहीं न कहीं वह विधान होता है जो हम सभी मानते भी नहीं हैं और पूरी तरह से खारिज भी नहीं करते हैं. इसे भले ही पूर्वजन्म जैसा कुछ न कहा जाये मगर कुछ तो ऐसा होता ही है जो व्यक्ति को एक-दूसरे से जोड़ता है. 


दिल से दिल की भावनाओं का, दिल-दिमाग की तरंगों का, व्यक्ति से व्यक्ति के जुड़ाव का कोई न कोई ऐसा तार अवश्य बना होता है जो उनके संबंधों को समाप्त नहीं होने देता है. यही सम्बन्ध ही वैज्ञानिक रूप में टैलीपैथी कही जा सकती है. दिमागी हलचल का, दिल से दिल के सम्बन्ध का रहस्य भले ही लगातार खोजने की कोशिश की जा रही हो मगर देखने में आया है कि भावनात्मकता का कोई विज्ञान नहीं, आपसी तारतम्यता का कोई फ़ॉर्मूला नहीं. निश्चित रूप से प्रकृति ने अपना एक विधान बनाकर इन्सान को अपने आँचल में शरण दी है. यह व्यक्तियों के आपसी व्यवहार, सम्बन्ध, पारदर्शिता पर निर्भर करता है कि उनके बीच की बनी अंतरंगता किस हद तक सकारात्मक है. इसी सकारात्मकता का परिणाम होता है कि व्यक्ति पास न होकर भी करीबी का अनुभव करवाता है. इसी अंतरंगता का परिणाम होता है कि आपके जीवन का कोई भी सुखद पल उसकी उपस्थिति के बिना पूरा नहीं होता, भले ही वह सामने न हो. ऐसी भावनाओं को, ऐसे रिश्तों को, ऐसे संबंधों को समझने, बनाने की कोशिश नहीं करनी पड़ती है. एक-दूसरे की आपसी समझ, आपसी सोच, आपसी मानसिकता स्वतः उस व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से जोड़ती है. बस, इसके लिए दिल से उठती हुई सकारात्मकता को समझने की आवश्यकता होती है.

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