भारतीय
वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी का ऐलान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने
अपनी संसद में किया. आज चंद घंटों बाद उनका प्रवेश भारतीय सीमा में हो जायेगा और
संभव है कि पिछले कई दिनों से चला आ रहा तनाव दूर हो. इसके पीछे सम्भावना अभी इसलिए
है क्योंकि संसद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपने शांति प्रयासों की तरफ बढ़ते
कदमों को रोककर एक तरह से फिर परमाणु हमले जैसी धमकी दी है. इसके पीछे की मानसिकता
को कोई भी समझ सकता है. दरअसल भारतीय वायुसेना की हालिया कार्यवाही के बाद से
पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है. उसके द्वारा लगातार यही प्रयास हो रहा है कि आतंकवादियों
पर की गई भारतीय कार्यवाही को वह पाकिस्तान पर हुई कार्यवाही साबित कर सके. भारत
द्वारा पुलवामा हमले से सम्बंधित डोजियर भेजने के बाद भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री
ने संसद में आतंकियों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही करने सम्बन्धी कोई बयान
नहीं दिया. इसके उलट उनके बयान से परमाणु हमले की धमकी की बू आती है. उन्होंने
संसद में साफ तौर पर कहा कि मैं हिंदुस्तान को आज इस प्लेटफ़ॉर्म से कह रहा हूँ कि
इसे आगे ना लेके जाएँ क्योंकि जो भी आप करेंगे पाकिस्तान मजबूर होकर रिटेलिएट करने
के लिए. वो मुल्क जिसके पास ये हथियार हैं, सोचना भी नहीं चाहिए इस तरफ.
एक तरफ
इस तरह की बयानबाजी, वो भी संसद में और दूसरी तरफ भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर
की रिहाई को शांति प्रयासों की दिशा में बढ़ाया गया कदम बताना पाकिस्तान के दोहरे
चरित्र का परिचायक है. असल में पाकिस्तानी आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और
जैश-ए-तैयबा के खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत पाकिस्तान जुटा नहीं सकता है. ऐसे
में उसकी कोशिश यही सिद्ध करने की है कि कश्मीर में अथवा भारत में जिस तरह की
आतंकी कार्यवाहियां आये दिन होती रहती हैं, उनके पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का
नहीं वरन भारत की दमनकारी नीतियों का परिणाम है.
यही वह
बिंदु है जहाँ पर भारत को नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है. ऐसा इसलिए
क्योंकि भारतीय कूटनीति, पाकिस्तान के सामने न झुकने का अड़ियल रवैया और अंतर्राष्ट्रीय
कानूनों और रुख का पाकिस्तान पर भारी दवाब था. ऐसे में बिना शर्त हमारे विंग
कमांडर की वापसी निश्चित ही भारतीय कूटनीति की, कठोर रुख की जीत है मगर इसके बाद
भी सम्पूर्ण घटनाक्रम को एकसूत्र में बांधते हुए भारत को सतर्क रहने, समझने की
जरूरत है. भारतीय वायुसेना के हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान का एफ-16 विमानों से
भारतीय सीमा में हमला करने की नियत से घुसना, पाकिस्तानी वायुसेना को करार जवाब
देते हुए उसके एक विमान को मार गिराना तथा उसी में दुर्भाग्यवश भारतीय वायुसेना के
विंग कमांडर का पाकिस्तान की गिरफ्त में आ जाना भले ही परिस्थिति रही मगर पकिस्तान
ने तत्काल उसे अपने पक्ष में करने का प्रयास किया. पुलवामा हमले में उसके आतंकी
संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा ली गई जिम्मेवारी ने पाकिस्तान की भारत विरोधी
मानसिकता को वैश्विक स्तर पर साबित कर दिया था. इसके अलावा मसूद का पाकिस्तान में
खुलेआम शरण पाना भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबको दिखाई दे रहा है. ऐसे में भारतीय
वायुसेना पायलट की गिरफ़्तारी को पाकिस्तान द्वारा अपनी साख में सुधार करने के अवसर
के रूप में लिया.
पाकिस्तानी
जनता द्वारा विंग कमांडर अभिनंदन के साथ की जा रही मारपीट के बीच पाकिस्तानी सेना
द्वारा बचाने का, पाकिस्तानी सेना द्वारा घायलावस्था में उससे पूछताछ करने का फिर
चाय की चुस्की के बीच संक्षिप्त सी बातचीत का वीडियो लगातार आते रहना अपने आपमें
बहुत कुछ कहता है. इन सबका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच पाकिस्तान को शांति
की राह पर चलने वाला, मानवतावादी दृष्टिकोण रखने वाला साबित करना रहा है. ऐसा करने
के कारण विंग कमांडर को रिहा करना उसके लिए अनिवार्य बन गया था मगर इसे जिस तरह से
प्रसारित किया जा रहा है यदि उसके सन्दर्भ में भारत की तरफ से चूक होती है तो फिर
आतंकवाद के खिलाफ चल रही उसकी लड़ाई कमजोर पड़ने की आशंका है. ये स्पष्ट है कि भारत
को अब और अधिक दृढ़ संकल्प और अदम्य इच्छाशक्ति के साथ आतंकवाद का सामना करने की
आवश्यकता है. भारत को यही प्रयास करना है कि किसी भी रूप में पाकिस्तान अपनी नापाक
हरकतों के बीच दवाब में उठाये गए इस कदम को अपने पक्ष में मोड़ ले जाये. पाकिस्तानी
सेना इस घटना के बाद कोई भी मौका नहीं चूकेगी जिससे भारत का नुकसान न किया जा सके.
भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर से जो समर्थन आतंकवाद के खिलाफ वर्तमान कार्यवाही में
मिला है उसे किसी कीमत पर कम नहीं होने देना है.
भारत
द्वारा पाकिस्तानी वायुसेना द्वारा भारतीय सीमा का अतिक्रमण करने के सम्बन्ध में
विरोध दर्ज करवा दिया गया है. इसके साथ-साथ विदेश मंत्रालय ने भी साफ़-साफ़ कहा है
कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसकी धरती (पाकिस्तान) से संचालित आतंकवादी शिविरों के
खिलाफ कार्यवाही पर पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय दायित्व और द्विपक्षीय प्रतिबद्धता दिखाने
के बजाय भारत के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखा रहा है. ऐसा स्पष्ट तौर पर लग रहा है कि
अब भारत मूकदर्शक बनकर बैठा देखता नहीं रहेगा. उसके दृष्टिकोण में बदलाव साफ़ तौर
पर दिखाई दे रहा है. वह पूर्ण शांति प्रयासों के साथ अपने आतंवादी विरोधी कदमों को
बढ़ा रहा है. विज्ञान दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना कि पायलट
प्रोजेक्ट हो गया, अब कुछ रियल होगा के भी अपने सन्दर्भ निहित हैं.
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