सूरज
की पहली किरण निकलने के पहले भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सीमा में सोये आतंकियों
को जागने का मौका नहीं दिया. पूरी तैयारी और निश्चय के साथ महज बीस-बाईस मिनट में तीन
प्रमुख जगहों पर बने आतंकी कैम्पों को नष्ट करके वायुसेना के विमान सुरक्षित अपने देश
लौट आये. पुलवामा हमले के बाद भारतीय नागरिकों में जो उदासी का, आक्रोश का माहौल बना हुआ था वह दूर हुआ. देश के उस पार क्या स्थिति रही होगी
यह किसी से छिपा नहीं मगर अपने देश में पाकिस्तानी समर्थकों के चेहरे का रंग उड़ा हुआ
था. पाकिस्तान के साथ हमेशा शांति, वार्ता का राग अलापने वालों
की जुबान से वायुसेना के लिए दो शब्द भी न निकले. बहुत से लोगों ने यदि कुछ कहा भी
तो वे इसे उन्माद पैदा करना बताते रहे. कुछ लोगों के लिए यह चुनावी कदम रहा,
जिसके द्वारा वर्तमान केंद्र सरकार सत्ता वापसी करना चाहती है. ऐसे लोगों
का मानना है कि यह कार्यवाही पाकिस्तान पर की गई है. पाकिस्तानी हुक्मरानों की तरफ
से भी बौखलाहट भरे बयानों का आना साबित करता है कि वे इस कार्यवाही को अपने खिलाफ मान
बैठे हैं.
इस
खबर के सार्वजनिक होते ही पाकिस्तान की तरफ से अलग-अलग तरह के बयान आने शुरू हो गए.
किसी की तरफ से कहा जाने लगा कि सही समय पर इसका जवाब दिया जायेगा. किसी के द्वारा
इसे अनावश्यक घुसपैठ बताया गया. किसी के द्वारा इसकी शिकायत अंतर्राष्ट्रीय फोरम में
किये जाने सम्बन्धी बयान दिए गए. किसी ने बयान दिया कि बम खाली क्षेत्र में गिरे,
कोई नुकसान नहीं हुआ. पाकिस्तान की तरफ से इन सारे बयानों के साथ-साथ
वहाँ के निवासियों की जुबानी सारे घटनाक्रम को बताते हुए वीडियो भी सामने आये,
जो कुछ न्यूज़ चैनल्स ने दिखाए. सभी को यदि इस कार्यवाही की दृष्टि से
देखा जाये तो बहुत सी बातें स्पष्ट रूप से सामने आती हैं कि भारतीय वायुसेना द्वारा
की गई इस कार्यवाही में पाकिस्तान के किसी भी नागरिक क्षेत्र को निशाना नहीं बनाया
गया था. एक भी बम से किसी भी निर्दोष नागरिक की जान-माल को नुकसान नहीं हुआ है. इसके
अलावा भारतीय प्रधानमन्त्री और हमारी सेना इसे भली-भांति जानती-समझती थी कि यह कार्यवाही
किसी भी तरह से पाकिस्तानी सेना के खिलाफ नहीं की जा रही. ऐसे में उसके द्वारा किसी
भी पाकिस्तानी सैन्य क्षेत्र को निशाना नहीं बनाया गया. किसी भी पाकिस्तानी सैनिक को
नहीं मारा गया. यह कार्यवाही पूरी तरह से पुलवामा हमले में वीरगति को प्राप्त हुए हमारे
सैनिकों का बदला लेने के लिए की गई थी. ऐसे में हमारी सेना का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ
पाकिस्तानी सीमा में चल रहे आतंकी प्रशिक्षण कैम्पों को नष्ट करना रहा था. इसी कारण
भारतीय वायुसेना द्वारा आतंकी कैम्पों को निशाना बनाते हुए आतंकियों का खात्मा किया
गया.
इस
कार्यवाही को एक तरह से अंतर्राष्ट्रीय सहमति भी प्राप्त हुई, यह भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की कूटनीतिज्ञ सफलता कही जाएगी.
सम्पूर्ण विश्व आज किसी न किसी रूप में आतंकवाद से पीड़ित है. ऐसे में सभी देश चाहते
हैं कि आतंकवाद का सफाया हो. आज के दौर में लगभग सभी देश आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस
वाली नीति का पालन करने की बात करते हैं. आपसी सहयोग के साथ आतंकवाद का सफाया करने
की बात करते हैं. ऐसे में यदि भारतीय सेना ने पाकिस्तान में चल रहे आतंकी कैम्पों को
समाप्त करने सम्बन्धी कदम उठाया भी है तो इसे वैश्विक स्तर पर पाकिस्तानी सेना के या
पाकिस्तान के खिलाफ उठाया गया कदम नहीं स्वीकारा गया है. आतंकवाद की समाप्ति के लिए
ऐसी कार्यवाही पूर्व में भी अनेक देशों द्वारा की जाती रही है.
यह
सही है कि देश में, समाज में, परिवार में
यदि शांति का, अमन का वातावरण बना हुआ है तो वह किसी के भी विकास
के द्वार सहजता से खोलता है. विकास के इस द्वार के लिए शांति आवश्यक है और वह तब तक
संभव नहीं जब तक कि कुछ अराजक तत्त्व सक्रिय हैं. सीमा-पार से होते आ रहे आतंकी हमलों
के बारे में न केवल अपने देश को वरन सम्पूर्ण विश्व को जानकारी है. इसके अलावा बच्चे-बच्चे
को जानकारी है कि देश के भीतर भी उन आतंकियों का समर्थन करने वाले, आतंक की पनाहगार बन चुके पाकिस्तान का समर्थन करने वाले भी बहुत से लोग हैं.
ऐसे समर्थकों में बहुत से खुलकर सामने आते हैं और बहुत से ऐसे हैं जो स्लीपर सेल की
तरह काम करते हैं. अब जबकि यह स्पष्ट हो चुका है कि भारतीय वायुसेना ने किसी भी तरह
से युद्ध करने के लिए नहीं, पाकिस्तानी सेना से बदला लेने के
लिए नहीं, पाकिस्तान से युद्ध के लिए नहीं वरन आतंकियों के सफाए
के लिए यह कार्यवाही की है तब देश के भीतर बैठे पाकिस्तानी समर्थकों को खामोश रहने
की आवश्यकता है. उनके द्वारा की जाने वाली किसी भी तरह की बयानबाजी देश के भीतर पनप
रहे आतंकियों को आक्सीजन देने का काम करेगी. भारतीय प्रधानमंत्री और भारतीय वायुसेना
इसके लिए बधाई की पात्र है कि उसने बहुत हद तक आतंकवाद की कमर तोड़ने का काम किया है.
कम से कम इस कार्यवाही को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध से न जोड़ते हुए विशुद्ध आतंकवाद
विरोधी कार्यवाही माना-समझा-बताया जाये, यही दोनों देशों के बीच
शांति, अमन के लिए बेहतर रहेगा. यही मानसिकता भारत को वैश्विक
स्तर पर आतंकवाद से लड़ने में सहयोगी बनाएगी, उसे ताकत प्रदान
करेगी.
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