27 फ़रवरी 2019

युद्ध या पूर्ण बहिष्कार ही पाकिस्तान को सुधारने का उपाय है

पाकिस्तान के रवैये के खिलाफ कूटनीति भरे कदम लगातार बढ़ाये जा रहे हैं. सरकार के द्वारा वैश्विक समुदाय को स्पष्ट सन्देश देते हुए बताया गया कि किस तरह पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर के साथ-साथ देश के बाकी हिस्सों में आतंकी गतिविधियाँ अंजाम दी जारी हैं. इससे वैश्विक समर्थन का मिलना एक बड़ी कूटनीतिज्ञ विजय कही जाएगी. इसके अलावा पाकिस्तान से व्यापारिक गतिविधियों का बंद किया जाना, आयात शुल्क का बढ़ाया जाना भी पाकिस्तान को हालिया सबक सिखाने के लिए पर्याप्त है. इसके साथ-साथ जल समझौते पर विचार करने की, पाकिस्तान को जाने वाले पानी को रोकने सम्बन्धी बयानों ने भी पाकिस्तान को कई कदम पीछे धकेला होगा. जिस तरह की स्थितियाँ अभी देश के भीतर हैंउन्हें देखते हुए सीधा युद्ध देश के हित में नहीं होगा किन्तु जवानों पर धोखे से किया गया हमला देश भर में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश पैदा किये हुए है.  ऐसे में ये कदम हाल-फ़िलहाल इसलिए भी सही माने जा सकते हैं क्योंकि उसकी तरफ से प्रायोजित आतंकवाद का खुला खेल सीमा पार से तो चल ही रहा है, देश के भीतर उसके पक्ष में बैठे लोग भी किसी आतंकी से कम नहीं. कुछ विशुद्ध आतंकी ही हैं और कुछ अपने बयानों, हरकतों से आतंकी काण्ड जैसे कदम उठा लेते हैं. इन तमाम सारे राजनैतिक, कूटनीतिज्ञ कदमों के साथ सांस्कृतिक जगत से, खेल जगत से भी पाकिस्तान का बहिष्कार सा किया जाना देश के मनोबल को बढ़ाएगा.


जैसी की खबरें आई हैं कि कलाकारों का आना-जाना नहीं होगा, क्रिकेट में पाकिस्तान के साथ विश्व कप का मैच नहीं होगा. इन दो खबरों के आने पर प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं जो कम से कम वर्तमान परिस्थितियों में सुखद नहीं कही जा सकती हैं. कलाकारों के आने-जाने पर भी फिल्म संसार के कुछ लोगों ने आपत्ति जताई है. उनके विचार से ऐसा किया जाना अलोकतांत्रिक है, कला का अपमान है. यहाँ उन कलाकरों को समझना चाहिए कि यदि पाकिस्तान सरकार वाकई कला को, संस्कृति को महत्त्व देती है तो वह इन्हीं कलाकारों के सम्मान के लिए अपनी तरफ से चलने वाले आतंकी कदमों को रोकें. कुछ विरोधी विचार क्रिकेट को लेकर भी सामने आये हैं. क्रिकेट के वरिष्ठ सदस्य सुनील गावस्कर सहित भगवान का दर्ज़ा पाए सचिन तेंदुलकर के मुख से देश के निर्णय का विरोध समझ से परे है. ये सच है कि विश्व कप में भारत का प्रदर्शन हमेशा पाकिस्तान से बेहतर ही रहा है. अतीत के बेहतर प्रदर्शन के हिसाब से आने वाले किसी भी मैच का परिणाम तय नहीं किया जा सकता है. खेल में कब किसकी स्थिति सही हो, कब कौन कमजोर हो जाये कहा नहीं जा सकता है. यदि ऐसी किसी स्थिति के बाद भारतीय टीम पाकिस्तानी टीम से हार जाती है तो खिलाड़ियों, नागरिकों के मनोबल को समझा जा सकता है. यहाँ समझना चाहिए कि खेल भावना में सम्मान तब तक है जब तक कि सामने की तरफ से भी सम्मान मिल रहा हो. समझ से परे है कि एक तरफ उस देश से आतंक को समर्थन मिल रहा है और उसी देश के साथ खेल खेला जाये. 

क्रिकेट के द्वारा सम्बन्ध सुधारने की कवायद वर्षों से होती आ रही है. इसी के चलते दोनों देशों के बीच टूर्नामेंट दोनों देशों से बाहर किसी तीसरे देश में भी आयोजित किये जाते रहे हैं. लगातार कई सालों तक ये प्रक्रिया चलती रही है, इसके बाद भी दोनों देशों के मध्य संबंधों में मधुरता नहीं आ सकी है. अब जबकि हालिया आतंकी हमला बहुत बड़ा हमला है और इसे लेकर देश में जबरदस्त आक्रोश है, गुस्सा है तब पाकिस्तान से किसी भी तरह के मैत्री सम्बन्ध शहीद जवानों का अपमान करने जैसा ही होगा. एकबारगी भले इसे स्वीकार कर लिया जाये कि वर्तमान स्थितियाँ पाकिस्तान से सीधे युद्ध या बदला लेने लायक नहीं हैं किन्तु ऐसे किसी भी कदम को अवश्य ही रोका जा सकता है जिनसे वैश्विक समुदाय को, पाकिस्तान को एक स्पष्ट सन्देश दिया जा सके. स्पष्ट रूप से बताया जा सके कि देश उसकी नापाक हरकतों के कारण उसका बहिष्कार कर रहा है. ऐसे में न केवल राजनयिक संबंधों को समाप्त किया जाना चाहिए बल्कि तमाम सारे उन कदमों को भी रोक लेना चाहिए जो दोनों देशों के मध्य सीधे-सीधे संचालित होते हों. अभी भले ही सीधे युद्ध के द्वारा न सही मगर ऐसे कदमों के द्वारा पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सकता है.

अब जबकि पुलवामा हमले का बदला पाकिस्तानी आतंकियों से ले लिया गया है, तब जनाक्रोश में कमी आई होगी मगर पाकिस्तान की हरकतें उसका बहिष्कार किये बिना सही नहीं होनी हैं. आतंकी कैम्पों के ध्वस्त होने से बौखलाया पाकिस्तान आतंकियों की मौत का बदला लेने के लिए आज सुबह भारतीय सीमा में वायुमार्ग से घुसा. उसका मकसद किसी न किसी रूप में भारतीय सैन्य क्षेत्र में या फिर नागरिक क्षेत्र में बमबारी करना ही रहा होगा. भारतीय सेना पहले से ही मुस्तैद थी और उसने पाकिस्तान के एक विमान को मार गिराया. हालाँकि इस प्रयास में भारतीय सेना का भी एक मिग दुर्घटनाग्रस्त हो गया. आधिकारिक सूत्रों द्वारा एक पायलट लापता बताया गया है. उधर पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसके कब्जे में एक भारतीय पायलट है. यदि उसकी बात को सही माना जाये तो अबकी गेंद उसके पाले में है कि वह पायलट को सुरक्षित लौटाते हुए वैश्विक समुदाय के सामने अपनी साख को कुछ हद तक सही कर सकता है. अन्यथा की स्थिति में वह एक दिन पूर्व ही देख चुका है कि भारतीय प्रधानमंत्री और भारतीय सेना किस कदर ठोस मगर सटीक निर्णय, कदम उठाने में पारंगत हैं. यदि अबकी भी पाकिस्तान सुधरने का प्रयास नहीं करता तो या तो उसे युद्ध के द्वारा समझाया जाये या फिर उसका सम्पूर्ण बहिष्कार किया जाये. इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है. 

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