वर्तमान
केंद्र सरकार द्वारा अपना अंतिम बजट अंतरिम बजट के रूप में प्रस्तुत किया गया. इस बजट
में आम आदमी, किसान, श्रमिकों का विशेष
रूप से ध्यान रखा गया है. कुछ विशेष बिन्दुओं को रखते हुए इस बजट पर चर्चा का प्रयास
रहेगा.
वेतनभोगियों, कर्मचारियों के लिए -
पाँच
लाख रुपये तक की आय के साथ डेढ़ लाख रुपये तक की बचत भी करमुक्त.
स्टैण्डर्ड
डिडक्शन 40 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार
रुपये.
40
हजार रुपये तक के बैंक ब्याज पर टैक्स नहीं. पहले यह सीमा 10
हजार रुपए तक थी.
पीएफ
खाताधारकों को 6 लाख रुपये का बीमा किये जाने का प्रावधान.
कर्मचारियों
को नई पेंशन स्कीम में सरकार के योगदान को चार प्रतिशत से बढ़ाकर चौदह प्रतिशत किया
गया.
21
हजार रुपए प्रतिमाह कमाने वाले कर्मचारियों को 7 हजार रुपए बोनस.
ग्रैच्युटी
की सीमा दस लाख रुपये से बढ़ाकर बीस लाख रुपए की गई.
किसानों के लिए -
देश
के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जबकि 22 फसलों का न्यूनतम
समर्थन मूल्य लागत से कम से कम 50 फीसदी अधिक निर्धारित किया
गया है.
छोटे
और सीमांत किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि नामक योजना
को मंजूरी.
दो
हेक्टेयर (लगभग 5 एकड़) तक की भूमि वाले किसानों को 6000 रुपए प्रति वर्ष देने का निर्णय. यह रकम दो-दो हजार रुपए की तीन बराबर किश्तों
में सीधे किसानों के खाते में जाएगी.
प्राकृतिक
आपदा से प्रभावित होने वाले सभी किसानों के लिए ब्याजमाफी योजना शुरू.
इसमें
दो प्रतिशत ब्याज और समय पर कर्ज लौटाने वाले किसानों को तीन प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज
माफी का लाभ मिलेगा. कुल मिलाकर उन्हें ब्याज में पाँच प्रतिशत की छूट मिल सकेगी.
पशुपालन-मछलीपालन
के लिए किसान क्रेडिट कार्ड से लिए कर्ज के ब्याज में दो प्रतिशत ब्याज की छूट.
श्रमिकों के लिए -
रेहड़ी-पटरी
वाले, रिक्शा चालक, कूड़ा बीनने वाले,
खेती कामगार, बीड़ी बनाने वाले जैसे असगंठित क्षेत्र
से जुड़े कामगारों को 60 साल की उम्र के बाद तीन हजार रुपए प्रति
महीने की पेंशन देने का प्रावधान.
यह
योजना 15000 रुपये तक मासिक आय वाले असंगठित क्षेत्र के कामगारों
के लिए. इसका नाम प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन वृहद पेंशन योजना रखा
जाएगा.
वर्तमान
केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत अपने अंतिम बजट, जो अंतरिम बजट
है, में माध्यम वर्ग को ज्यादा महत्त्व दिया गया. इस बजट के सम्पूर्ण
विश्लेषण के बाद पता चलेगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में यह किस तरह का असर डालेगा किन्तु
इस अंतिम बजट से वेतनभोगियों को, किसानों को और श्रमिकों को खुश
करने का प्रयास सरकार द्वारा किया गया है. विगत चार वर्षों से अधिक के कार्यकाल में
सरकार पर आरोप लगते रहे कि वह किसानों और श्रमिकों के हितों को ध्यान में नहीं रख रही
है. वेतनभोगियों, कर्मचारियों के हितों की उपेक्षा का भी आरोप
उस पर जब-तब लगता रहा है. इसके साथ-साथ सरकार को चंद गिने-चुने व्यवसायियों की सरकार
कहा जाने लगा था.
इस
बजट से ऐसी भ्रान्ति दूर होनी चाहिए. वेतनभोगियों से इतर इस बजट में जिस तरह से किसानों
और श्रमिकों के लिए योजनाओं को बनाया गया है वह सरकार की दूरदर्शी सोच को प्रकट करता
है. छोटे किसानों के लिए वार्षिक सहायता भले ही देखने में छोटी लगे मगर व्यावहारिक
रूप में बहुत सहायक सिद्ध होगी. आपदा के समय ब्याज में छूट को सहायता भले माना जाए
किन्तु समय पर क़र्ज़ लौटाने वालों को अतिरिक्त ब्याज छूट अब किसानों को सही समय पर कर्ज
जमा करने के लिए जरूर प्रोत्साहित करेगा.
इस
बजट में तमाम ख़ास बातों में सबसे अधिक प्रशंसनीय श्रमिकों के लिए, असंगठित क्षेत्र के कामगारों के हितार्थ योजना बनाना रहा है. अभी तक इनके प्रति
गंभीरता से विचार नहीं किया जा रहा था. अक्सर ये श्रमिक मुसीबत के समय अकेले नजर आते
थे. उम्रदराज होने के बाद इनके सामने रोजी-रोटी का, अपने जीवन-निर्वहन
का संकट खड़ा हो जाता था. वर्तमान बजट में प्रस्तुत पेंशन योजना निश्चित ही इन्हें लाभान्वित
करेगी और भविष्य के प्रति सुरक्षा का वातावरण पैदा करेगी.
यकीनन
विरोधियों की नजर में इसे चुनावी वर्ष से सम्बंधित बजट बताया जायेगा किन्तु जिस तरह
से बजट में आम आदमी का, मध्यम वर्ग का ध्यान रखा गया है वह भविष्य
की अर्थव्यवस्था की पूर्व-पीठिका है. यहाँ यह याद रखने की आवश्यकता है कि जिस समय
सरकार ने नोटबंदी जैसा कठोर कदम उठाया था, उसके तुरंत बाद जीएसटी जैसा कदम उठाकर
साबित किया था कि वह वोटबैंक के लिए नहीं वरन देश की आर्थिक स्थिति के लिए काम कर
रही है, उसी दिन स्पष्ट हुआ था कि आने वाले दिनों में इस सरकार के द्वारा मध्यम
वर्ग को राहत प्रदान की जाएगी. और इस बजट से ऐसा ही हुआ है. आयकर छूट के द्वारा ही
लगभग 80 प्रतिशत वेतनभोगियों को लाभ मिला है. निश्चित ही यह
एक दीर्घकालिक निवेश है, जो सरकार द्वारा किया गया है, बस इसे समझने की आवश्यकता
है. करोड़ों लोगों के हितार्थ एक कदम से योजना बनाना निश्चित रूप में भले ही चुनावी
दाँव हो मगर यह आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति सकारात्मकता जगायेगा.
लोगों को आर्थक सशक्तिकरण के प्रति प्रोत्साहित करेगा.
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