31 जनवरी 2019

प्रथम परमवीर चक्र से सम्मानित वीर को सादर नमन


आज, 31 जनवरी पहले परमवीर चक्र से सम्मानित होने वाले मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्मदिन है. वे भारतीय सेना की कुमाऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कमांडर थे. सन 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता से शत्रु के छक्के छुड़ा दिये थे. इसके लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित किया था. उनका जन्म 31 जनवरी 1923 को जम्मू में हुआ था. इनके पिता मेजर अमरनाथ शर्मा भी सेना में डॉक्टर थे. इसके साथ-साथ उनके मामा लैफ्टिनेंट किशनदत्त वासुदेव 4/19 हैदराबादी बटालियन में थे तथा 1942 में मलाया में जापानियों से लड़ते शहीद हुए थे. अपने पिता और मामा के प्रभाववश वे भी सेना में भरती हुए. 


मेजर सोमनाथ ने अपना सैनिक जीवन 22 फरवरी 1942 से शुरू किया. तब उन्हें चौथी कुमायूं रेजिमेंट में बतौर कमीशंड ऑफिसर प्रवेश मिला. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्हें मलाया के पास के रण में भेजा गया जहाँ इन्होंने अपने पराक्रम के तेवर दिखाए. इसके चलते वे एक विशिष्ट सैनिक के रूप में पहचाने जाने लगे. सन 1947 के भारत पाकिस्तान युद्ध के समय मेजर सोमनाथ शर्मा की टुकड़ी को कश्मीर घाटी के बदगाम मोर्चे पर जाने का हुकुम मिला. 3 नवम्बर को मेजर सोमनाथ बदगाम जा पहुँचे और उत्तरी दिशा में उन्होंने अपनी टुकड़ी तैनात कर दी. तभी दुश्मन की सेना ने उनकी टुकड़ी को तीन तरफ से घेरकर हमला किया. भारी गोलाबारी में उनके सैनिक हताहत होने लगे. अपनी दक्षता का परिचय देते हुए मेजर सोमनाथ ने अपने सैनिकों के साथ गोलियां बरसाते हुए दुश्मन को बढ़ने से रोके रखा.

इस दौरान बहुत से भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके थे. सैनिकों की कमी को मेजर महसूस कर रहे थे. ऐसे समय में एक मोर्टार का निशाना ठीक वहीं पर लगा जहाँ वे खुद मौजूद थे. दुश्मन सेना की तरफ से किये गए इस विस्फोट में मेजर सोमनाथ शहीद हो गये. उन्होंने प्राण त्यागने से ठीक पहले अपने वीर सैनिकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा था कि, दुश्मन हमसे केवल पचास गज की दूरी पर है. हमारी गिनती बहुत कम रह गई है. हम भयंकर गोली बारी का सामना कर रहे हैं फिर भी मैं एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगा और अपनी आखिरी गोली और आखिरी सैनिक तक डटा रहूँगा.

उनकी वीरता और भारतीय सैनिकों के जोश के चलते श्रीनगर विमानक्षेत्र से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बेदख़ल करते हुए मेजर 3 नवम्बर 1947 को वीरगति को प्राप्त हुए. इसके लिए उन्हें पहले परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. इसे संयोग ही कहा जायेगा कि परमवीर चक्र का डिजाइन मेजर शर्मा के भाई की पत्नी सावित्री बाई खानोलकर ने तैयार किया था.

आज उनकी जन्मतिथि पर उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित हैं. 


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