25 जनवरी 2019

स्व-प्रचार बिना समाजसेवा


ऐसे बच्चों को जिनकी नाक बह रही हो, कपड़े मैले-कुचैले हों, खुद भी धूल से सने हों, उनकी अवस्था देखकर लगता हो कि कई दिन से नहाये नहीं हैं, हम भी, आप भी अपने किसी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं करते हैं.


ऐसे बच्चे कभी गलती से हम लोगों द्वारा आयोजित भोज में दिख जाते हैं तो हम उनके ऊपर एहसान सा करते हुए किसी नौकर के द्वारा भोजन पहुँचवा देते हैं. उन्हें अपने भोज में साथ बिठाकर भोजन नहीं करवाते हैं.


'सुभाष भवन' के उद्घाटन के अवसर पर आँखें खोलने वाला दृश्य आँखों के सामने गुजर रहा था. ऐसे बच्चे जिनको हम आमतौर पर देखना पसंद नहीं करते, उनसे बात करना पसंद नहीं करते. वे सभी साथ बैठकर भोज का आनंद ले रहे थे.


जो बच्चे अपनी अवस्था के कारण भोजन करने में असमर्थता व्यक्त कर रहे थे, उन्हें विशाल भारत संस्थान के बच्चे अपने हाथों से भोजन करवा रहे थे.


राजीव जी आप वाकई अनुकरणीय कार्य कर रहे हैं. आपके कार्यों को देखते हुए आज से हम अपने साथ 'सामाजिक कार्यकर्त्ता' जैसा विशेषण लगाना, लगवाना बंद करवाते हैं. हम सब कहीं न कहीं स्व-प्रचार का काम कर रहे हैं. आपको और आपके साथ जुड़े सभी लोगों को हार्दिक वंदन.

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