16 जनवरी 2019

एक एहसास मिलन और जुदाई का


एक एहसास, किसी व्यक्ति विशेष का और वह भी तब जबकि वह किसी न किसी रूप में आपके साथ जिन्दा रहे, इस बात का एहसास कराता है कि व्यक्ति की कितनी महत्ता है. एहसास खालीपन का, एहसास किसी के दूर जाने का, भले ही व्यक्ति आपके साथ न हो पर उसके साथ होने का एहसास ही बहुत होता है. किसी भी व्यक्ति से इसी अनाम रिश्ते का नाम अभी तक दिया जाना समझ में नहीं आया है. कोई अपना न होते हुए भी बहुत अपना सा लगता है, कोई अपना होकर भी कभी अपना सा नहीं लगता है. किसी भी बेगाने का अपना सा एहसास ही उसके दूर हो जाने का एहसास कराता है. किसी ऐसे व्यक्ति का जो अपना न होते हुए भी बहुत करीब हो उसके प्रति एक दूरी का एहसास भी बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है.


यह प्रकृति का नियम है कि मिलन के साथ ही साथ जुदाई होती है. किसी से मिलना, किसी से बिछड़ना साथ-साथ ही होता है. और देखा जाये तो बिछड़ने के दुःख का एहसास भी मिलन के बाद और मिलन की खुशियों का एहसास भी बिछड़ने के साथ होता है. यही ख़ुशी-ग़म, मिलने-बिछड़ने का क्रम हमारे जीवन को एक गति प्रदान करता है. किसी को ख़ुशी, किसी को ग़म, किसी को हँसी, किसी को अश्क, किसी को मिलन, किसी को जुदाई यह सारी की सारी बातें एहसास कराती हैं कि ज़िन्दगी इसी का नाम है. और इसी ज़िन्दगी को, उसके हर रंग को जिंदादिली से जीने का नाम भी ज़िन्दगी है.

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