हम इस समय बिहार के शिवहर जिले में हैं. इसी जिले के उत्साही युवा राकेश कुमार सिंह 15 मार्च 2014 से पूरे देश में एक विशेष उद्देश्य को लेकर साइकिल यात्रा पर निकले हैं. समाज में बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव, उनके साथ होते असमानता के व्यवहार, उनके साथ होती हिंसा के विरोध में लोगों को जागरूक करना उनका विशेष उद्देश्य है. बेटियों को लक्ष्मी मानने वाले समाज में ही बेटियों की गर्भ में हत्या कर दी जा रही है. नवरात्रि में देवी के समकक्ष मानी जाने वाली बेटियाँ आए दिन दोयम दर्जे का व्यवहार सहती हैं. बेटियों के ख़िलाफ़ बने माहौल को तोड़ने के लिए, उनको सजग, सचेत करने के लिए राकेश की साइकिल यात्रा एक मुक़ाम पर पहुँच कर लोगों से संवाद की नवीन यात्रा का सूत्रपात करने जा रही है.
राकेश ने अपनी साइकिल यात्रा के दौरान बीस से अधिक राज्यों में सत्ताईस हज़ार किलोमीटर की दूरी नापते हुए दस लाख से ज़्यादा लोगों से जेंडर संवाद स्थापित किया. अपने उन अनुभवों और लोगों के विचारों के आपसी संवाद हेतु अपने गृह जनपद शिवहर में 22-24 दिसम्बर 2018 तक जेंडर संवाद नामक कार्यक्रम का आयोजन राकेश द्वारा किया जा रहा है. इसमें देश भर से बुद्धिजीवी, साहित्यकार, कलाकार, रंगकर्मी, मीडियाकर्मी आदि उपस्थित हो रहे हैं. गांधी भवन, शिवहर अगले तीन दिनों तक वैचारिक क्रांति का साक्षात्कार करेगा. देखना यह है कि राकेश की लगभग पाँच साल की साइकिल यात्रा और उसके बाद की संवाद की नयी पारी जेंडर समानता के क्या आयाम स्थापित करती है? समाज में क्या परिवर्तन करती है?
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