10 दिसंबर 2018

दूसरों के अधिकार मटियामेट कर मानवाधिकार दिवस मनाएँ


मानव को मार कर, उसके अधिकारों की हत्या कर मानवाधिकार दिवस मनाये जाने का आनंद ही कुछ और है. ऐसा आनंद कहीं और किसी काम में नहीं मिल पाता है. छोटा सा काम हो या फिर बड़ा सा काम, सबके पीछे अधिकारों का होना होता ही है. उन सभी स्थितियों में जो अधिकार संपन्न होता है वो अपने से कमजोर के अधिकारों का हनन करने में लग जाता है. न्यूनतम से न्यूनतम अधिकार मिलते ही सम्बंधित व्यक्ति उसका उपयोग करने से ज्यादा दुरुपयोग करने लगता है. इसके बाद ही मानव के अधिकारों की रक्षा करना ज्यादा अच्छा लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकारों की हत्या करने वाला ही भली-भांति जानता है कि उसने किसके किन अधिकारों की हत्या कर दी. जिसके अधिकारों का हनन होता है उसे तो पता ही नहीं चलता कि उसके किस अधिकार का गला दबा दिया गया. वो तो बस राह ताकता है कि कोई आये और उसके अधिकारों की रक्षा करे. ऐसे लोगों के लिए ही आज अधिकारों का दुरुपयोग करने वाले मानवाधिकार दिवस मनाएंगे. 


मंच पर बैठकर, माइक के सामने खड़े होकर बस अपने कर्तव्यों की बात न करना सबके द्वारा होगा. सब अधिकारों की बात करेंगे मगर कर्तव्यों की बात कोई नहीं करेगा. सोचने वाली बात ये है कि यदि सभी अधिकार ही माँगते रहेंगे तो कर्तव्यों की बात कौन करेगा? करना भी नहीं चाहिए क्योंकि कर्तव्यों के निर्वहन में स्वयं को जिम्मेवारी से जोड़ना होता है जबकि अधिकारों के लिए ऐसा कुछ नहीं करना होता है. अब अधिकारों की बात अपने लाभ से जुड़कर होने लगी है. मानवाधिकारों में स्वार्थ सम्बन्धी बातें होने लगी हैं. कभी कोई बात नहीं करता कि वह कैसे दूसरे के अधिकारों की रक्षा करेगा. मानवाधिकार पर जबरदस्त बहस करने वाले कभी बोलते नहीं देखे जाते कि वे खुद को कर्तव्यों में लगाकर दूसरे के अधिकारों की रक्षा करेंगे. कोई मानवाधिकारी स्वयं के लिए कभी शपथ लेता नहीं दिखता कि वह किसी के अधिकारों का हनन नहीं करेगा. आखिर अपने लाभ को दरकिनार करते हुए किसी दूसरे के अधिकारों के लिए खड़े होना जीवट का काम है. वर्तमान दौर में जबकि सब एक-दूसरे को मारने-काटने की बात कर रहे हों तब दूसरे के अधिकारों की रक्षा के लिए आज के मानवाधिकारी खड़े होंगे, महज कल्पना लगता है.

फिर भी आइये, दूसरों के अधिकारों को मटियामेट करके मानवाधिकार दिवस मनाएँ. इस आयोजन को मानते समय भी देखते रहें, सोचते रहें कि कैसे सामने वाले के अधिकारों में कटौती की जाये. कैसे दूसरे के अधिकारों पर अपने अधिकारों को हावी किया जाये. इसीलिए बधाई आपको कि आप मानवाधिकार दिवस मनाने में सक्षम हैं, अधिकारों का हनन करने के काबिल हैं, कर्तव्यों से विमुख होने के अधिकारी हैं. आखिर आप मानवाधिकारी जो हैं.

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