इथियोपिया में 1975 में एक कंकाल मिला था. जाँच के
बाद बताया गया कि यह कंकाल लगभग तीस लाख साल पहले पृथ्वी पर रहने वाली एक औरत का है.
इसे इस दुनिया का सबसे पुराने मानव कंकाल के रूप में चिन्हित किया गया. जाँच से
जानकारी मिली कि यह कंकाल ऑस्ट्रेलोपिथेकस एफरेंसिस प्रजाति का है, जो लगभग बत्तीस
लाख वर्ष पुराना माना जा रहा है. इस कंकाल के मिलने के
बाद से ही इस पर अनेक तरह के शोध किये गए, अनेक तरह से इसकी
वास्तविकता को सामने लाने का प्रयास किया गया. कंकाल का वास्तविक स्वरूप सामने
लाने के लिए लगातार शोध भी चल रहे थे.
इसी सन्दर्भ में एक
खबर सामने आई कि वैज्ञानिकों की एक टीम ने फॉरेंसिक फेसियल रिकंस्ट्रक्शन तकनीक से
कंकाल की खोपड़ी के थ्री-डी स्कैन और चिम्पांजी के सॉफ्ट टिशू डाटा की सहायता ली.
वैज्ञानिकों की टीम ने इस तकनीकी की मदद से कंकाल की खोपड़ी का लगभग वास्तविक चेहरा
बना लेने में सफलता प्राप्त कर ली. इस चेहरे का अनुमानिक आकार पाने के बाद
वैज्ञानिकों ने इस कंकाल या कहें कि कंकाल से बने चेहरे का नाम लूसी रखा. इस कंकाल
की अनुमानित लम्बाई साढ़े तीन फीट है.
मानवीय सभ्यता के
सबसे पुराने पूर्वजों में से एक लूसी का चेहरा, भले ही यह काल्पनिक अथवा तकनीक से
उत्पन्न हुआ हो, इसे
देखना रोमांचकारी है. इस चेहरे के द्वारा अपने अतीत से जुड़ना निश्चित ही अद्भुत है, रोमांचक है. तकनीकी सहायता से कंकाल से निर्मित चेहरे लूसी को नमन, लूसी के रूप में लाखों-लाखों वर्ष पहले की मातृशक्ति को नमन.
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