बड़ी शिद्द्त से रिश्ते निभाए हैं
फिर भी धोखे अपनों से खाए हैं
वो समझ लेता हर बात मेरी
जबकि कुछ न उसे बताए हैं.
दिल बन गया है समंदर मेरा,
नदियाँ आँसुओं की छिपाए हैं.
हमदर्द जितने भी बनाये हमने,
दर्द फिर उनके ही सजाए हैं.
एक हम जो मुद्दतों से सोए नहीं,
वे पूछते सपनों में किसे बुलाए हैं.
दिल अपना है आवारा बहती धारा,
नादान हैं जो इससे दिल लगाए हैं.
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