30 नवंबर 2018

बड़ी शिद्द्त से रिश्ते निभाए हैं


बड़ी शिद्द्त से रिश्ते निभाए हैं
फिर भी धोखे अपनों से खाए हैं

वो समझ लेता हर बात मेरी
जबकि कुछ न उसे बताए हैं.

दिल बन गया है समंदर मेरा,
नदियाँ आँसुओं की छिपाए हैं.

हमदर्द जितने भी बनाये हमने,
दर्द फिर उनके ही सजाए हैं.

एक हम जो मुद्दतों से सोए नहीं,
वे पूछते सपनों में किसे बुलाए हैं.

दिल अपना है आवारा बहती धारा,
नादान हैं जो इससे दिल लगाए हैं.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें