मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम (एम०सी०मैरी कॉम) यह नाम आज
किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है. एक ऐसी महिला, जिसका जन्म 1 मार्च 1983 को हुआ और समूचा विश्व आज उन्हें मैरी कॉम के नाम से जानता है,
एक भारतीय महिला मुक्केबाज हैं. उन्होंने 24 नवंबर 2018 को नई दिल्ली
में आयोजित 10 वीं एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में 6 विश्व चैंपियनशिप
जीतने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रचा. इसके साथ सुखद तथ्य यह भी है कि वे
जुड़वाँ बच्चों की माँ भी हैं.
वे अब तक दस राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी हैं.
उन्होंने पहली बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप वर्ष 2001 में जीती. इसके
साथ-साथ 2012 के लंदन ओलम्पिक में उन्होंने काँस्य पदक जीता. एशियाई खेल 2010 में काँस्य तथा 2014 के
एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया. बॉक्सिंग
में देश का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में उन्हें अर्जुन
पुरस्कार से तथा वर्ष 2006 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
वर्ष 2009 में उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न
पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मध्यप्रदेश के ग्वालियर में वर्ष 2018 में
उनको वीरांगना सम्मान से विभूषित किया गया.
मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक गरीब किसान
के परिवार जन्मी मैरी कॉम की प्राथमिक शिक्षा लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल और सेंट
हेवियर स्कूल से पूरी हुई. बाद में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय
से परीक्षा दी. उनके मन में बॉक्सिंग के प्रति आकर्षण सन सन 1999 में उस समय उत्पन्न
हुआ जब उन्होंने खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कुछ लड़कियों को बॉक्सिंग
रिंग में लड़कों के साथ बॉक्सिंग करते देखा. उनके जीवन पर एक फिल्म भी बनी जिसका प्रदर्शन
सन 2014 में हुआ. इस फिल्म में उनकी भूमिका प्रियंका चोपड़ा ने निभाई.
मैरी कॉम को
उनकी उपलब्धि पर शुभकामनाओं सहित सुखद, स्वस्थ जीवन की मंगलकामना.
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