03 नवंबर 2018

प्रेम में धड़कते दो दिल

प्रेम में धड़कते दो दिल कब एक-दूजे के लिए धड़कने लगे पता न चला. छोड़ अपने-अपने घर कब एक-दूजे से बदल गए पता न चला. वो महज़ आकर्षण नहीं एक विश्वास था परस्पर संवेदनाओं का एक एहसास था, नहीं कहा जा सकता पहली नज़र का वो एहसास था उम्र भर का, धड़कन को धड़कन से मिला कर धड़कना हर साँस में एक जीवन महकना, वे दिल ही थे जो दिल सज़ा रहे थे दर्द को भूल ख़ुशियाँ खिला रहे थे, ख़ामोशियों के साथ सजते अनगिन ख़्वाब धरातल पर उतार लाने को आतुर चाँद सितारों का संसार, पर ख़्वाब तो ख़्वाब होता है चमकता है फिर ग़ायब होता है, धूप वास्तविकता की हक़ीक़त दिखाती है ओस की बूँदों का मखमली एहसास मिटाती है, हक़ीक़त की ठोस ज़मीं पर ख़्वाबों की दुनिया भले न बसी चाँद सितारों की महफ़िल भले न सजी, पर विश्वास ने हाथ न छोड़ा संवेदना ने मुँह न मोड़ा एहसास ने साथ न छोड़ा दो दिल तब भी एक-दूजे के लिए धड़कते थे अब भी धड़कते रहे, दो दिल तब भी एक-दूजे में बसते थे अब भी बसते रहे, हाँ... प्रेम में धड़कते दो दिल कब एक-दूजे के दर्द में धड़कने लगे पता न चला, प्रेम में खिलते-खिलते कब एक-दूजे के दर्द में पलने लगे पता न चला...

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