28 अक्तूबर 2018

सेनेटरी नेपकिन पर आधुनिक महिलाओं की अमानुषिक सोच

समाज आये दिन नए-नए आन्दोलनों से रूबरू होता है. आधुनिकता के वशीभूत आगे बढ़ता या कहें कि आगे बढ़ने का नाटक करता ये समाज ऐसे-ऐसे आन्दोलनों के सहारे चलने की कोशिश करने में लगा है जो भारतीय समाज में ही नहीं वरन किसी भी समाज में स्वीकार नहीं होंगे. सबरीमाला मंदिर विवाद के बाद से इस तरह का एक आन्दोलन सामने आया, वो भी सेनेटरी नेपकिन के आन्दोलन के रूप में. ऐसी खबर सार्वजनिक रूप से आ रही है कि सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर आंदोलित महिलाओं में एक महिला वहाँ स्थापित भगवान की मूर्ति पर माहवारी के दिनों में प्रयुक्त सेनेटरी नेपकिन को फेंकना चाहती है. सोचने वाली बात ये है कि ये किस तरह का आन्दोलन है? किस तरह की आज़ादी है? इस खबर के सन्दर्भ में सरकार की एक महिला मंत्री के बयान पर कुछ आधुनिक महिलाएं लामबंध हो गईं. वे माहवारी के दिनों में उपयोग में लाये सेनेटरी नेपकिन को लेकर इतनी संजीदा हो गईं, मानो ऐसे नेपकिन वे अपने संग्रह में सुरक्षित रख लेती हैं. या फिर ऐसे नेपकिन खाने की मेज पर साथ लेकर बैठती हैं.

इन महिलाओं ने महिला मंत्री के उस बयान को निशाना बना रखा है जिसमें उनके द्वारा कहा गया कि क्या महिलाएं उपयोग किये गए नेपकिन अपने मित्र के घर ले जा सकती हैं? इसके अलावा इन आधुनिक महिलाओं का आन्दोलन सेनेटरी नेपकिन के पवित्र-अपवित्र को लेकर भी चालू है. ये स्वीकार है कि माहवारी किसी भी महिला की प्राकृतिक अवस्था है. ये भी स्वीकार है कि इसी अवस्था के चले इन्सान का जन्म होता है. ये भी स्वीकार है कि इस स्थिति को नकारा नहीं जा सकता है. इन सबके बाद भी इसे भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता है कि इन स्थितियों में उपयोग में लाये जाने वाले नेपकिन उपयोगी हैं, सुरक्षित हैं, स्वास्थ्यवर्धक हैं. यदि माहवारी की अवस्था विशुद्ध पवित्र है तो क्या इस समय में उपयोग किये गए नेपकिन यही आधुनिक महिलाएं अपने ड्राइंग रूम में सजा कर रखेंगी? क्या यही महिलाएं अपने उपयोग किये गए नेपकिन को अपने साथ खाने की मेज पर लेकर भोजन करेंगी? यदि उपयोग किया गया नेपकिन पवित्र अवधारणा से लिप्त है तो क्या वे ऐसे नेपकिन अपने किसी कार्यक्रम में किसी को उपहार स्वरूप गिफ्ट करेंगी? निश्चित है ऐसा कोई भी महिला नहीं कर पाएगी. 

असल में इस तरह की नौटंकी सिर्फ सरकार विरोध के लिए की जा रही है. ऐसी महिलाओं के निशाने पर केंद्र सरकार है उसके मंत्री हैं. यदि ऐसा नहीं है तो प्रति महीने पांच दिनों के लिए इन्हीं महिलाओं को इसी पवित्र स्थिति से गुजरना पड़ेगा. इसी बार से अपने ऐसे उपयोग किये गए नेपकिन अपने पति-बेटे-बेटी के लंच बॉक्स में रखकर भेजें. ऐसे नेपकिन को अपने किसी परिचित को उपहार स्वरूप भेंट करें. ऐसे उपयोग किये गए नेपकिन को वे खाने की प्लेट में साथ रखकर भोजन का स्वाद लें. यदि वे ऐसा करने में समर्थ हैं, सक्षम हैं तो उनके आन्दोलन को समर्थन है. अन्यथा की स्थिति में अपनी बकबक को अपने घर तक सीमित रखें और अपने दिमाग में भी एक सेनेटरी नेपकिन लगाकर बैठें ताकि अनावश्यक होने वाले स्त्राव को रोका जा सके.

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