अयोध्या फिर राजनीति
का शिकार हुआ. राम मंदिर फिर अदालत के कारण एक अलग रंग में रँगा नजर आया. अदालत के
एक आदेश के बाद इसकी सुनवाई अगले वर्ष तक के लिए सरक गई. इस आदेश के बाद भले ही
केंद्र सरकार को राहत महसूस हुई हो मगर लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं में निराशा की लहर
फ़ैल गई होगी. हालाँकि अदालत में आज सुनवाई किसी और मुद्दे के सन्दर्भ में होनी थी
मगर आमजन में यही धारणा बना दी गई थी कि अदालत में राम मंदिर निर्माण पर फैसला
होने वाला है. यहाँ सोचने-समझने वाली बात ये है कि सर्वोच्च न्यायालय को मंदिर
निर्माण पर फैसला नहीं सुनाना है. अदालत का निर्णय मंदिर निर्माण से इतर अयोध्या
में जमीन के स्वामित्व पर आना है. उच्चतम न्यायालय को उच्च न्यायालय के निर्णय के
सन्दर्भ में अपना निर्णय देना है, जहाँ तय किया जायेगा कि सम्बंधित जमीन पर
स्वामित्व किसका और कितना है.
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