जब तक हम लोग अनुशासित होना, व्यवस्थित रहना, नियंत्रित होना न सीखेंगे, तब तक हादसे हमें रुलाते ही रहेंगे. ध्यान रखना होगा कि प्रत्येक दुर्घटना सरकार की लापरवाही नहीं होती है. हमारा ग़ैर-ज़िम्मेवार होना भी दुर्घटनाओं को आमंत्रित करता है. किसी भी अफ़वाह पर अनियंत्रित हो जाना, किसी भी आयोजन में अनुशासनहीन हो जाना जैसे हम सबकी आदत बन चुकी है.
अमृतसर रेल हादसा भी इसी का दुष्परिणाम है. तेज़ गति से आती ट्रेन का न दिखना, उसकी तीव्र आवाज़ का न सुनाई देना, उसकी गति से होने वाले कम्पन का आभास न होना साबित करता है कि रावण दहन देख रहे लोग किस हद तक लापरवाह थे. काश! हम सब यहाँ से भी सीखना शुरू कर दें.
अमृतसर रेल हादसा भी इसी का दुष्परिणाम है. तेज़ गति से आती ट्रेन का न दिखना, उसकी तीव्र आवाज़ का न सुनाई देना, उसकी गति से होने वाले कम्पन का आभास न होना साबित करता है कि रावण दहन देख रहे लोग किस हद तक लापरवाह थे. काश! हम सब यहाँ से भी सीखना शुरू कर दें.
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