गुजरात आना हुआ विशुद्ध पारिवारिक कारणों से. यहाँ आते समय किसी भी तरह का मन कहीं घूमने-फिरने का नहीं था. वड़ोदरा प्रवास के दौरान शहर के आसपास ही आना-जाना हुआ. इसके अत्यंत निकट होने के कारण देश के लौह पुरुष को समर्पित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के दर्शन का लोभ संवरण नहीं किया जा सका. परिणाम ये हुआ कि इस ओर गाड़ी दौड़ा दी गई. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार पटेल को समर्पित एक स्मारक है, जो गुजरात में स्थित है. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया था. यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर स्थित एक टापू है. यह जगह पहाड़ियों और हरियाली से घिरे हुए गुजरात के भरुच के नज़दीक नर्मदा जिले में स्थित है.
सम्बंधित स्थान पर पहुँच कर अपने आश्चर्य की सीमा न रही. विशालकाय प्रतिमा सरदार सरोवर बाँध की ओर चेहरा किए लौह पुरुष के विराट स्वरूप का परिचय दे रही है. यह मूर्ति विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा के रूप में अपनी पहचान स्थापित किए है. आधार सहित इस मूर्ति की कुल ऊँचाई 240 मीटर है जिसमे 58 मीटर का आधार तथा 182 मीटर (597 फ़ीट) की मूर्ति है. यह मूर्ति इस्पात साँचे, प्रबलित कंक्रीट तथा कांस्य लेपन से युक्त है. यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है, इससे पहले विश्व की सबसे ऊँची स्टैच्यू 152 मीटर की चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध है. इसके बाद दूसरी ऊँची मूर्ति भी भगवान बुद्ध की ही है जिसकी उँचाई 120 मीटर है.
इसी माह की 31 तारीख़ को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस स्मारक का लोकार्पण करेंगे. सरदार पटेल की चिरपरिचित गम्भीर मुद्रा, काँधे पर दुशाला इस मूर्ति में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहे हैं. आज़ादी के बाद देश भर की बिखरी रियासतों को एकसूत्र में पिरोने का असम्भव कार्य करने वाले लौह पुरुष को यह अनमोल श्रद्धांजलि है. निश्चित ही उनका यह स्मारक न केवल देश में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में एक धरोहर के रूप में पहचाना जाएगा.
सम्बंधित स्थान पर पहुँच कर अपने आश्चर्य की सीमा न रही. विशालकाय प्रतिमा सरदार सरोवर बाँध की ओर चेहरा किए लौह पुरुष के विराट स्वरूप का परिचय दे रही है. यह मूर्ति विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा के रूप में अपनी पहचान स्थापित किए है. आधार सहित इस मूर्ति की कुल ऊँचाई 240 मीटर है जिसमे 58 मीटर का आधार तथा 182 मीटर (597 फ़ीट) की मूर्ति है. यह मूर्ति इस्पात साँचे, प्रबलित कंक्रीट तथा कांस्य लेपन से युक्त है. यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है, इससे पहले विश्व की सबसे ऊँची स्टैच्यू 152 मीटर की चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध है. इसके बाद दूसरी ऊँची मूर्ति भी भगवान बुद्ध की ही है जिसकी उँचाई 120 मीटर है.
इसी माह की 31 तारीख़ को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस स्मारक का लोकार्पण करेंगे. सरदार पटेल की चिरपरिचित गम्भीर मुद्रा, काँधे पर दुशाला इस मूर्ति में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहे हैं. आज़ादी के बाद देश भर की बिखरी रियासतों को एकसूत्र में पिरोने का असम्भव कार्य करने वाले लौह पुरुष को यह अनमोल श्रद्धांजलि है. निश्चित ही उनका यह स्मारक न केवल देश में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में एक धरोहर के रूप में पहचाना जाएगा.
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