आज 13 अक्तूबर को विश्व के पहला अनाज बैंक ने अपनी सर्वश्रेष्ठ सेवा के तीन वर्ष पूरे किये. इस बैंक का उद्देश्य है कि कोई भूखा न सोये. इसकी पूर्ति के लिए अनाज बैंक टीम का एक-एक सदस्य लगातार सक्रिय है. वाराणसी से आरम्भ हुए अनाज बैंक ने धीरे-धीरे अपना विस्तार किया. बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भूख की समस्या को देखते हुए केन्द्रीय टीम ने उरई नगर में इसी एक शाखा का आरम्भ किया. बुन्देलखण्ड के पहले अनाज बैंक के रूप में उरई शाखा ने पारदर्शी, ईमानदार कार्य की सतत प्रक्रिया बनाये रखी. इसका परिणाम ये हुआ कि अनाज बैंक के कार्यों से प्रेरित होकर इस अवसर पर नगर के कुछ गणमान्य लोग खाताधारक के रूप में जुड़े. एक भूखे परिवार और उनके बच्चों का पेट भरने में आप भी अनाज बैंक टीम का हिस्सा बने हैं, उनको साधुवाद, उनका आभार.
+डॉ० ए०के० सक्सेना, प्राचार्य, गाँधी महाविद्यालय, उरई
श्री गौरव चौहान द्वारा डॉ० ऋचा सिंह राठौड़, सहायक प्राध्यापक, रक्षा अध्ययन विभाग, गाँधी महाविद्यालय, उरई
डॉ० विनीत चतुर्वेदी, सहायक प्राध्यापक, समाजशास्त्र, कालपी कॉलेज, कालपी
डॉ० विश्वप्रभा त्रिपाठी, मनोविज्ञान विभाग, गाँधी महाविद्यालय, उरई
डॉ० कंचन, सहायक प्राध्यापक, मनोविज्ञान विभाग, गाँधी महाविद्यालय, उरई
डॉ० ममता, संस्कृत विभाग, गाँधी महाविद्यालय, उरई
सदस्यता फॉर्म भरते डॉ० विनीत चतुर्वेदी |
डॉ० विनीत चतुर्वेदी के साथ डॉ० अमिता सिंह, धर्मेन्द्र कुमार |
जमाकर्ता फॉर्म देते डॉ० ए० के० सक्सेना, प्राचार्य गाँधी महाविद्यालय, उरई |
डॉ० ऋचा सिंह राठौड़, सहायक प्राध्यापक, गाँधी महाविद्यालय, उरई |
बांये से - डॉ० सुनीता गुप्ता, डॉ० विश्वप्रभा त्रिपाठी, डॉ० कंचन, डॉ० ममता गाँधी महाविद्यालय, उरई |
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