11 अक्तूबर 2018

जीवन बन जाता जीवन


जीवन को जीवन न समझे,
वो जीवन भी है क्या जीवन.
जीवन में जो जीवन भर दे,
वो जीवन बन जाता जीवन.

जीवन को रचता है जीवन,
जीवन में बसता है जीवन.
बिन जीवन ये जीवन कैसा,
जीवन न कहलाता जीवन.

जीवन में ख़ुशियों भर जीवन,
जीवन से चहके हर जीवन.
दिन हो जीवन जीवन रातें,
जीवन को महकाता जीवन.

++
कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र
11-10-2018

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