01 अक्तूबर 2018

हसरत है हमारी


सितारों को जमीं पर सजाने की हसरत है हमारी,
दुनिया से अँधेरे मिटाने की हसरत है हमारी.
भटक जाएँ न मंजिल से अनुज हमारे कहीं,
हर मोड़ पर दीपक जलाने की हसरत है हमारी.

दीपशिखा की गरिमा मिटाने तूफ़ान आये बहुत,
अजय होने की राह में व्यवधान आये बहुत,
नहीं रोके अपने कदम कभी हारने के डर से,
रेगिस्तान में फूल खिलाने की हसरत है हमारी.

सच होगा स्वप्निल सपना कभी आस है उनको,
बरसेगी भगवान की करुणा यह विश्वास है उनको,
नहीं जागते पत्थर कभी वंदना आराधना से,
गोपाल बन दुखों का पहाड़ उठाने की हसरत है हमारी.



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सन 2000 में लिखी गई कविता, आज सन्दर्भ छिड़ने पर याद आई.

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