29 अगस्त 2018

नेत्रदान के संकल्प से समाज को रौशनी दें


एक समाचार पढ़ने को मिला कि मात्र छत्तीस घंटे जीवित रहे शिशु द्वारा दो नेत्रहीन व्यक्तियों को नेत्रदान करके रौशनी दी गई. किसी गंभीर इन्फेक्शन के चलते नवजात शिशु चंद घंटे ही इस दुनिया में रहा. उसके इलाज के भागदौड़ में लगे परिजन उसका नाम तक न सोच पाए थे. बाद में उसको दफनाये जाने के दौरान ही श्मशान घाट में उसका नामकरण कर शिवा नाम से पुकारा गया. उसी समय कुछ जागरूक समाजसेवियों की पहल पर उसके परिजनों को नेत्रदान के लिए समझाया गया. परिजनों ने उनकी बात स्वीकारते हुए नेत्रदान की प्रक्रिया पूर्ण करके नन्हे शिवा को इस संसार से भले ही अलविदा कर दिया गया हो मगर उसकी आँखों के सहारे दो व्यक्ति इस दुनिया को देख सकेंगे. इस घटना को जानने के बाद दिल-दिमाग अपने देश में नेत्रदान सम्बन्धी फैले अनावश्यक अंधविश्वासों की तरफ दौड़ गया. उस नवजात के द्वारा किये गए नेत्रदान से दो लोग ये दुनिया देख सकेंगे किन्तु अभी भी बहुत से लोग हैं जो देख नहीं सकते. कई लोग जन्म से नेत्रहीन हैं तो कुछ लोग हादसों में अपनी आंखें गंवा चुके हैं. आँखें हमें जीवित रहने के दौरान रोशनी देती ही हैं और यदि हम चाहें तो मृत्यु के बाद भी वे किसी दूसरे को रौशनी दे सकती हैं. जब भी नेत्रदान की चर्चा की जाती है तो अनेक लोग इस अन्धविश्वास में पड़ जाते हैं कि नेत्रदान के बाद वे अगले जन्म में नेत्रहीन पैदा होंगे.


विश्व के विभिन्न देशों में नेत्रदान की महत्ता को समझते हुए प्रतिवर्ष 10 जून को विश्व नेत्रदान दिवस मनाया जाता है. इसके द्वारा लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता लाने का कार्य किया जाता है. हमारे देश में भी इसके अलावा जागरूकता लाने के लिए प्रतिवर्ष 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है. हमारे देश में करीब ढ़ाई लाख लोग हैं जो कि कर्निया की समस्या से पीड़ित हैं. यदि ऐसे लोगों को किसी मृत व्यक्ति का कार्निया लगा दिया जाये तो इनको दृष्टि मिल सकती है. ऐसा उसी दशा में संभव है जबकि कोई व्यक्ति अपने जीवनकाल में ही नेत्रदान की घोषणा लिखित रूप में ना कर दे. नेत्रदान की आवश्यकता और समाज के प्रति उसके योगदान को देखते हुए यह भी प्रावधान किया गया है है कि परिजनों की इच्छानुसार किसी भी मृत व्यक्ति की आंखों को दान दिया जा सकता है, चाहे उसने नेत्रदान के लिए अपना पंजीकरण नहीं भी कराया हो. ऐसे किसी भी व्यक्ति जो नेत्रदान करने की इच्छा रखता हो, उसकी मृत्यु के छह घंटे के भीतर ही उसका कार्निया निकाल कर चौबीस घंटे के भीतर नेत्रहीन व्यक्ति को लगाया जा सकता है.

यदि राष्ट्रीय स्तर पर अन्धता सम्बन्धी आँकड़ों पर नजर डालें तो पायेंगे कि हमारे देश में प्रत्येक एक हजार व्यक्तियों में से पच्चीस व्यक्ति दृष्टिहीन हैं. यह आँकड़ा हमारे देश की बुरी स्थिति को दर्शाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि विकसित देशों में यह आंकड़ा प्रति एक हजार व्यक्तियों पर मात्र तीन व्यक्तियों का है. देश में लगभग  पचास लाख व्यक्ति कार्निया की खराबी के कारण दृष्टिहीन हैं. यह अत्यंत दुखद स्थिति है कि इनमें से बहुत से लोगों को उपयुक्त इलाज ही नहीं मिल पाता है. इसके अलावा नेत्रदान करने सम्बन्धी उनको उपयुक्त कार्निया की उपलब्धता नहीं हो पाती है.


नेत्रदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के सरकारी, गैर-सरकारी प्रयासों के बाद भी नेत्रदान करने वालों का आंकड़ा उत्साहित नहीं करता है. यही कारण है कि आज भी देश में पच्चीस लाख लोगों से अधिक व्यक्ति अभी भी दृष्टिहीनता का शिकार हैं. अन्धविश्वास, जागरूकता में कमी, लोगों का अपने-अपने संस्कारों के चलते नेत्रदान के प्रति सजग न होना, ग्रामीण अंचलों तक नेत्रबैंक की आसान पहुँच न होना आदि ऐसे कारण हैं इनके चलते नेत्रदान बहुत ही कम हो पाता है. इस सम्बन्ध में एक आँकड़ा चौंकाने वाला हो सकता है कि देश में प्रतिवर्ष लगभग नब्बे लाख लोगों की मृत्यु होती है जबकि नेत्रदान करने वालों की संख्या लगभग पच्चीस हजार है.

नेत्रदान के बारे में सामान्य सी जानकारी ये है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी उम्र, लिंग, रक्तसमूह और धर्म का हो, नेत्रदान कर सकता है. लेंस या चश्मे का उपयोग करने वाले व्यक्ति, जिनकी आँखों की सर्जरी हुई हो वे व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं. बीमारी की दशा में एड्स, हेपेटाइटिस बी/सी, रेबीज, टिटनेस, मलेरिया आदि जैसे संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा मधुमेह, रक्तचाप, अस्थमा आदि से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं. यहाँ तक कि मोतियाबिंद से पीड़ित रोगी भी नेत्रदान कर सकता है, हाँ यहाँ एक सावधानी बरती जाती है कि पानी में डूबकर मरने वाले व्यक्ति की आंखें दान नहीं की जा सकतीं हैं.

नेत्रदान एक नेक काम है. कोई भी व्यक्ति अपनी आंखें दान करके दो व्यक्तियों के जीवन में उजाला ला सकता है. आइये संकल्प लें नेत्रदान का और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करें. अपने समाज के नेत्रहीन व्यक्तियों को रौशनी प्रदान करें, उनकी आँखों के सहारे इस दुनिया को आजीवन देखें. 

1 टिप्पणी:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 15 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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