विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जिनेवा
में विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की एक सूची जारी की. इस सूची में वैश्विक
रूप से पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश के कानपुर है. दुखद ये है कि शुरू के दस शहरों
में से नौ सहित कुल बीस शहरों में देश के चौदह शहर प्रदूषित पाए गए हैं. विश्व
स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की गई सूची में देश के तैंतीस शहर प्रदूषित पाए गए
हैं. इन शहरों के प्रदूषण सम्बन्धी आँकड़ों को इन शहरों की जहरीली वायु गुणवत्ता के
आधार पर एकत्र कर जारी जारी किया गया है. WHO द्वारा जारी रिपोर्ट
में पार्टिकुलेट मैटर यानि पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर को शामिल किया गया है. पार्टिकुलेट
मैटर यानि पीएम वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत माना जाता है. इसमें सल्फेट, नाइट्रेट और काले कार्बन जैसे घरों, उद्योग, कृषि और परिवहन से निकलने वाले प्रदूषक शामिल रहते हैं. इस रिपोर्ट में
वर्ष 2016 को आधार बनाया गया है.
WHO ने यह रिपोर्ट पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 के आधार पर बनाई
है. पीएम 2.5 हवा में फैले अति-सूक्ष्म खतरनाक कण हैं. जो
सूक्ष्म कण 2.5 माइक्रोग्राम से छोटे होते हैं उनको पर्टिकुलेट मैटर 2.5 या पीएम 2.5
कहा जाता है. किसी भी स्थान पर पीएम 2.5 कणों के स्तर के
आधार पर वायु प्रदूषण या कहें कि प्रदूषण का आकलन किया जाता है. इसके लिए इन कणों
की उपस्थिति की गणना प्रति क्यूबिक मीटर हवा में माइक्रोग्राम इकाई में की जाती है.
लंबे समय तक पीएम 2.5 के संपर्क में रहने से फेफड़े के कैंसर, हृदय से जुड़ी अन्य बीमारियों के होने का खतरा रहता है.
पीएम 2.5 की तरह ही पीएम 10 के आधार पर
प्रदूषण का आकलन किया जाता है. इन कणों की उपस्थिति की गणना भी हवा में प्रति
क्यूबिक मीटर पर की जाती है. पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम
प्रति क्यूबिक मीटर (MGCM) होना चाहिए. विडम्बना ये है कि
देश की राजधानी दिल्ली में यह कुछ जगहों पर 1600 तक भी पहुंच चुका है. पीएम 2.5 का
सामान्य लेवल 60 एमजीसीएम माना गया है लेकिन यह दिल्ली में 300 से 500 तक पहुंच जाता
है.
WHO ने वैसे तो किसी भी स्तर को सुरक्षित स्तर के रूप में
मान्यता नहीं दी है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि किसी भी स्तर पर पीएम 2.5 खतरनाक होता
है. इसके बाद भी पीएम 2.5 को लेकर एक मानक बनाया गया है. डब्ल्यूएचओ के ऐसे ही मानक
के अनुसार पीएम 2.5 का स्तर एक साल में औसतन प्रति क्यूबिक मीटर 10-12 माइक्रोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए. इसे एक दिन में 25 माइक्रोग्राम प्रति
क्यूबिक मीटर के नीचे होना चाहिए, हालंकि भारतीय परिस्थितियों में सुरक्षा का स्तर
60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक माना गया है. डब्लयूएचओ की वर्तमान जारी
सूची में प्रदूषण का आधार पीएम 2.5 को ही बनाया गया है. यदि
भारतीय संदर्भो में पीएम 2.5 के सुरक्षा स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को ही माना जाये तो सूची के प्रदूषित
शहरों में उन्नीस शहर ऐसे हैं जिनका स्तर 60 माइक्रोग्राम
प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक है. यह स्थिति सुखद नहीं कही जा सकती है.
WHO द्वारा जारी सूची में भारत के प्रदूषित
शहरों की स्थिति
S.No.
|
World
Rank
|
City/Town
|
ug/m3
|
|
S.No.
|
World
Rank
|
City/Town
|
ug/m3
|
1
|
1
|
Kanpur
|
173
|
|
18
|
95
|
Chandrapur
|
64
|
2
|
2
|
Faridabad
|
172
|
|
19
|
96
|
Mumbai
|
64
|
3
|
3
|
Varanasi
|
151
|
|
20
|
154
|
Panchkula
|
55
|
4
|
4
|
Gaya
|
149
|
|
21
|
175
|
Chennai
|
52
|
5
|
5
|
Patna
|
144
|
|
22
|
192
|
Pune
|
49
|
6
|
6
|
Delhi
|
143
|
|
23
|
224
|
Bangalore
|
47
|
7
|
7
|
Lucknow
|
138
|
|
24
|
241
|
Hyderabad
|
46
|
8
|
9
|
Agra
|
131
|
|
25
|
283
|
Navi Mumbai
|
41
|
9
|
10
|
Muzaffarpur
|
120
|
|
26
|
292
|
Udaipur
|
41
|
10
|
11
|
Srinagar
|
113
|
|
27
|
296
|
Gauhati
|
40
|
11
|
12
|
Gurgaon
|
113
|
|
28
|
308
|
Solapur
|
39
|
12
|
15
|
Jaipur
|
105
|
|
29
|
309
|
Jabalpur
|
38
|
13
|
17
|
Patiala
|
101
|
|
30
|
348
|
Trivendrum
|
35
|
14
|
18
|
Jodhpur
|
98
|
|
31
|
352
|
Vizag
|
34
|
15
|
33
|
Nagpur
|
84
|
|
32
|
375
|
Tezpur
|
33
|
16
|
56
|
Kolkata
|
74
|
|
33
|
496
|
Aizwal
|
27
|
17
|
88
|
Ahmedabad
|
65
|
|
|
|
|
|
WHO द्वारा जारी सूची में कुछ प्रमुख देशों के
प्रदूषित शहरों की संख्या
देश
|
शहर
|
अमेरिका
|
559
|
चीन
|
314
|
इटली
|
188
|
जर्मनी
|
164
|
कनाडा
|
158
|
स्पेन
|
137
|
फ़्रांस
|
122
|
यूके
|
64
|
ऑस्ट्रेलिया
|
30
|
जापान
|
15
|
देश की ये स्थिति भले ही कुछ शहरों की दिखाई दे रही हो किन्तु
सत्य तो ये है कि बहुसंख्यक शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. पीएम 2.5 से
बचने के लिए गैस मास्क पहनने की जरूरत नहीं. सूती कपड़े से बने मास्क को पहन कर भी ऐसे
पार्टिकल को शरीर में जाने से रोका जा सकता है.
अपने आसपास की हवा में अधिक नमी हो तो वहां जाने से बचना
चाहिए. कोशिश की जानी चाहिए कि अपने आसपास हवा में नमी अधिक न होने पाए. पीएम 2.5 से
बचने से ज्यादा उपयुक्त है कि इसकी उत्पत्ति होने से रोकने का उपाय करना चाहिए. जिन
क्रियाओं से से यह उत्पन्न होता है उन्हें कम से कम करना चाहिए या फिर नहीं करना
चाहिए. कार के बेकार समान को जलाने से बचना चाहिए, कूड़े को कम
से कम, अत्यावश्यक होने पर ही जलाया जाना चाहिए.
देश में एक तरफ स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा है, दूसरी
तरफ देश का शहर ही वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक प्रदूषित शहर के रूप में सामने आया
है. यह स्थिति सरकार से ज्यादा नागरिकों के लिए चिंताजनक है, शर्मनाक है. राजनीति
के चक्कर में घिरकर बहुत से लोगों द्वारा स्वच्छ भारत अभियान का विरोध भी किया जा
रहा है. स्वार्थ में घिरकर अपने आसपास के वातावरण की चिंता किये बिना अपनी
जीवनशैली को संचालित किये जाते हैं. अपने लाभ के लिए पर्यावरण का विनाश करने में
लगे हुए हैं. प्राकृतिक संसाधनों को मिटाने में लगे हैं. यदि हम सभी ने सजग होकर
अभी से सकारात्मक कदमों को उठाना शुरू नहीं किया तो भविष्य में प्रदूषण हमारे
घर-घर में पैर पसार चुका होगा. हमारी भावी पीढ़ी प्रदूषित हवा-पानी-मिट्टी में तमाम
बीमारियों के साए में पलने होने को विवश होगी.
++++++++++
सारणी में दिए
गए आँकड़े WHO की वेबसाइट http://www.who.int/ से लिए गए हैं.
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