02 मई 2018

प्रदूषण की गिरफ्त में आते शहर


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जिनेवा में विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की एक सूची जारी की. इस सूची में वैश्विक रूप से पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश के कानपुर है. दुखद ये है कि शुरू के दस शहरों में से नौ सहित कुल बीस शहरों में देश के चौदह शहर प्रदूषित पाए गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की गई सूची में देश के तैंतीस शहर प्रदूषित पाए गए हैं. इन शहरों के प्रदूषण सम्बन्धी आँकड़ों को इन शहरों की जहरीली वायु गुणवत्ता के आधार पर एकत्र कर जारी जारी किया गया है. WHO द्वारा जारी रिपोर्ट में पार्टिकुलेट मैटर यानि पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर को शामिल किया गया है. पार्टिकुलेट मैटर यानि पीएम वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत माना जाता है. इसमें सल्फेट, नाइट्रेट और काले कार्बन जैसे घरों, उद्योग, कृषि और परिवहन से निकलने वाले प्रदूषक शामिल रहते हैं. इस रिपोर्ट में वर्ष 2016 को आधार बनाया गया है.


WHO ने यह रिपोर्ट पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 के आधार पर बनाई है. पीएम 2.5 हवा में फैले अति-सूक्ष्म खतरनाक कण हैं. जो सूक्ष्म कण 2.5 माइक्रोग्राम से छोटे होते हैं उनको पर्टिकुलेट मैटर 2.5 या पीएम 2.5 कहा जाता है. किसी भी स्थान पर पीएम 2.5 कणों के स्तर के आधार पर वायु प्रदूषण या कहें कि प्रदूषण का आकलन किया जाता है. इसके लिए इन कणों की उपस्थिति की गणना प्रति क्यूबिक मीटर हवा में माइक्रोग्राम इकाई में की जाती है. लंबे समय तक पीएम 2.5 के संपर्क में रहने से फेफड़े के कैंसर, हृदय से जुड़ी अन्य बीमारियों के होने का खतरा रहता है.

पीएम 2.5 की तरह ही पीएम 10 के आधार पर प्रदूषण का आकलन किया जाता है. इन कणों की उपस्थिति की गणना भी हवा में प्रति क्यूबिक मीटर पर की जाती है. पीएम 10 का सामान्‍य लेवल 100 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर (MGCM) होना चाहिए. विडम्बना ये है कि देश की राजधानी दिल्ली में यह कुछ जगहों पर 1600 तक भी पहुंच चुका है. पीएम 2.5 का सामान्‍य लेवल 60 एमजीसीएम माना गया है लेकिन यह दिल्ली में 300 से 500 तक पहुंच जाता है.


WHO ने वैसे तो किसी भी स्तर को सुरक्षित स्तर के रूप में मान्यता नहीं दी है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि किसी भी स्तर पर पीएम 2.5 खतरनाक होता है. इसके बाद भी पीएम 2.5 को लेकर एक मानक बनाया गया है. डब्ल्यूएचओ के ऐसे ही मानक के अनुसार पीएम 2.5 का स्तर एक साल में औसतन प्रति क्यूबिक मीटर 10-12 माइक्रोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए. इसे एक दिन में 25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के नीचे होना चाहिए, हालंकि भारतीय परिस्थितियों में सुरक्षा का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक माना गया है. डब्लयूएचओ की वर्तमान जारी सूची में प्रदूषण का आधार पीएम 2.5 को ही बनाया गया है. यदि भारतीय संदर्भो में पीएम 2.5 के सुरक्षा स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को ही माना जाये तो सूची के प्रदूषित शहरों में उन्नीस शहर ऐसे हैं जिनका स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक है. यह स्थिति सुखद नहीं कही जा सकती है.

WHO द्वारा जारी सूची में भारत के प्रदूषित शहरों की स्थिति
S.No.
World Rank
City/Town
ug/m3

S.No.
World Rank
City/Town
ug/m3
1
1
Kanpur
173

18
95
Chandrapur
64
2
2
Faridabad
172

19
96
Mumbai
64
3
3
Varanasi
151

20
154
Panchkula
55
4
4
Gaya
149

21
175
Chennai
52
5
5
Patna
144

22
192
Pune
49
6
6
Delhi
143

23
224
Bangalore
47
7
7
Lucknow
138

24
241
Hyderabad
46
8
9
Agra
131

25
283
Navi Mumbai
41
9
10
Muzaffarpur
120

26
292
Udaipur
41
10
11
Srinagar
113

27
296
Gauhati
40
11
12
Gurgaon
113

28
308
Solapur
39
12
15
Jaipur
105

29
309
Jabalpur
38
13
17
Patiala
101

30
348
Trivendrum
35
14
18
Jodhpur
98

31
352
Vizag
34
15
33
Nagpur
84

32
375
Tezpur
33
16
56
Kolkata
74

33
496
Aizwal
27
17
88
Ahmedabad
65







WHO द्वारा जारी सूची में कुछ प्रमुख देशों के प्रदूषित शहरों की संख्या
देश
शहर
अमेरिका
559
चीन
314
इटली
188
जर्मनी
164
कनाडा
158
स्पेन
137
फ़्रांस
122
यूके
64
ऑस्ट्रेलिया
30
जापान
15

देश की ये स्थिति भले ही कुछ शहरों की दिखाई दे रही हो किन्तु सत्य तो ये है कि बहुसंख्यक शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. पीएम 2.5 से बचने के लिए गैस मास्क पहनने की जरूरत नहीं. सूती कपड़े से बने मास्क को पहन कर भी ऐसे पार्टिकल को शरीर में जाने से रोका जा सकता है.

अपने आसपास की हवा में अधिक नमी हो तो वहां जाने से बचना चाहिए. कोशिश की जानी चाहिए कि अपने आसपास हवा में नमी अधिक न होने पाए. पीएम 2.5 से बचने से ज्यादा उपयुक्त है कि इसकी उत्पत्ति होने से रोकने का उपाय करना चाहिए. जिन क्रियाओं से से यह उत्पन्न होता है उन्हें कम से कम करना चाहिए या फिर नहीं करना चाहिए. कार के बेकार समान को जलाने से बचना चाहिए, कूड़े को कम से कम, अत्यावश्यक होने पर ही जलाया जाना चाहिए.

देश में एक तरफ स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा है, दूसरी तरफ देश का शहर ही वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक प्रदूषित शहर के रूप में सामने आया है. यह स्थिति सरकार से ज्यादा नागरिकों के लिए चिंताजनक है, शर्मनाक है. राजनीति के चक्कर में घिरकर बहुत से लोगों द्वारा स्वच्छ भारत अभियान का विरोध भी किया जा रहा है. स्वार्थ में घिरकर अपने आसपास के वातावरण की चिंता किये बिना अपनी जीवनशैली को संचालित किये जाते हैं. अपने लाभ के लिए पर्यावरण का विनाश करने में लगे हुए हैं. प्राकृतिक संसाधनों को मिटाने में लगे हैं. यदि हम सभी ने सजग होकर अभी से सकारात्मक कदमों को उठाना शुरू नहीं किया तो भविष्य में प्रदूषण हमारे घर-घर में पैर पसार चुका होगा. हमारी भावी पीढ़ी प्रदूषित हवा-पानी-मिट्टी में तमाम बीमारियों के साए में पलने होने को विवश होगी.

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सारणी में दिए गए आँकड़े WHO की वेबसाइट http://www.who.int/ से लिए गए हैं.


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