हमारी अपनी
विरासत से जुड़ा कोई भी आयोजन उस विरासत से नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए, उस विरासत के
बारे में नई पीढ़ी को बताने के लिए किया जाता है. इन आयोजनों का उद्देश्य महज
मनोरंजन नहीं बल्कि उन सभी लोगों को जागरूक करना होता है जो किसी न किसी रूप में
अपनी विरासत को भूलते जा रहे हैं. हम सभी जिस तरह से अपनी संस्कृति का, अपनी
विरासत का गर्व करते हैं उसके सापेक्ष कई बार लगता है कि हम ही अपनी संस्कृति को
नष्ट करते जा रहे हैं. अपनी विरासत को मिटाते जा रहे हैं. पुरानी पीढ़ी तो किसी न
किसी रूप में खुद को इस विरासत से जोड़े हुए है मगर नई पीढ़ी के बहुतायत लोगों को न
अपनी संस्कृति से मतलब है और न ही अपनी विरासत बचाए रखने की इच्छा है. वे अपनी
विरासत के बारे में जानना-सुनना भी पसंद नहीं कर रहे हैं. ऐसे में उनसे इसके
संरक्षण की अपेक्षा करना ही बेमानी होगा. यही कारण है कि आज बहुत से स्मारकों में,
इमारतों में, ऐतिहासिक भवनों में न केवल गन्दगी दिखाई दे रही है बल्कि उनमें क्षरण
भी दिख रहा है. वीरान, सुनसान में बने ऐसे स्मारकों में, इमारतों, भवनों में अराजक
युवाओं के उपद्रव देखे जा सकते हैं. देर शाम वहाँ उनकी ऐय्याशी के कारनामे देखे जा
सकते हैं. इसके अलावा इमारतों में खुदे कथित प्रेमी-प्रेमिकाओं के नाम, कोयले या
किसी अन्य सामग्री से लिखे गए अश्लील वाक्य भी अपनी विरासत के प्रति हमारी
असंवेदनशीलता का परिचायक हैं.
हम सभी
को ध्यान रखना चाहिए कि यही विरासत है जो हम से हमारा परिचय करवाती है. यदि आने
वाले समय में हम अपनी विरासत को भुला देंगे तो इसका अर्थ होगा कि हम अपने ही
व्यक्तित्व को भुला रहे हैं, अपने अस्तित्व को मिटा रहे हैं. संभव है कि आज की
आधुनिक जिंदगी की चकाचौंध में नई पीढ़ी को धनार्जन से फुर्सत न मिले मगर कल को उनके
अस्तित्व के लिए उनकी विरासत का जिंदा रहना अत्यावश्यक है. जिस तरह से हमारी
भौतिकतावादी जीवनशैली के लिए धन आवश्यक है उसी तरह हमारे अपने परिचय, अपनी पहचान
के लिए हमारी विरासत का जीवित रहना अनिवार्य है. बिना विरासत हम सभी की स्थिति ठीक
उसी तरह से होगी जैसे कि बिना जड़ के किसी पौधे की हो सकती है. स्पष्ट है कि जैसे
बिना जड़ के किसी पौधे का पनपना, बढ़ना संभव नहीं ठीक उसी तरह से किसी इन्सान का
बिना उसकी विरासत के विकास करना संभव ही नहीं. इसलिए न केवल अपने वर्तमान के लिए
वरन अपनी भावी पीढ़ी के भविष्य के लिए हम सभी को अपनी विरासत सुरक्षित रखने की आवश्यकता
है. उसे पल्लवित, पुष्पित, संरक्षित करने की आवश्यकता है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें