28 मार्च 2018

जीवन की महत्ता उसके निर्वहन में है


कभी कहीं पढ़-सुन रखा था कि एक उम्र भी कम है हाल-ए-दिल सुनाने को, एक याद काफी है उम्र भर रुलाने को, और मुद्दतों बाद भी ये पंक्तियाँ मन-मष्तिष्क को, दिल-दिमाग को झंकृत कर जाती हैं. अकाट्य सत्य कहा जा सकता है इसे कि किसी भी व्यक्ति की एक याद उम्र भर उसके प्रति संवेदनाओं से, भावनाओं से सराबोर करती रहती है. हम सभी के जीवन में बहुत से लोग ऐसे आते हैं जिन्हें चाह कर भी हम भुला नहीं पाते हैं. या कहें कि ऐसे लोगों को भुलाया जाना सहज नहीं होता है. हमारे दैनिक कार्यों में, जीवन के किसी न किसी मोड़ पर ऐसे लोग बराबर साथ खड़े दिखाई देते हैं. उनका कुछ पल का साथ ही अपने आपमें ज़िन्दगी बन जाता है. इस ज़िन्दगी को जब भी खुद की ज़िन्दगी से जुड़ा हुआ पाया जाता है तो अपनी ज़िन्दगी कमतर समझ आने लगती है. इसके पीछे मुख्य कारण उस साथ देने वाले के चंद पलों का महत्त्वपूर्ण होना रहता है. जीवन की अवधि इससे तय नहीं होती कि किसी व्यक्ति ने कितने वर्ष इस संसार में व्यतीत किये वरन इससे निर्धारित होती है कि उसके साथ कितने लोगों ने अपनी ज़िन्दगी के पल बिताये. यही वो स्थिति होती है जबकि किसी भी व्यक्ति को अपनी ज़िन्दगी बहुत बड़ी या बहुत छोटी समझ आ सकती है.


यदि किसी व्यक्ति की ज़िन्दगी का आधार उसके स्वयं के लोग, उसकी स्वयं की ज़िन्दगी है तो स्पष्ट है कि उसके लिए किसी और का कोई महत्त्व नहीं रह जाता है. इसके उलट यदि कोई ऐसा व्यक्ति है जिसके लिए जीवन का तात्पर्य न केवल खुद से है वरन सबके जीवन से है तो उसके जीवन का आधार सबके जीवन से निर्धारित होता है. ऐसे लोगों के लिए बहुधा जीवन बहुत छोटा महसूस होता है. वे बाकी लोगों के लिए जितना कुछ करना चाहते हैं, उतना अपने इस अल्प जीवन में कर नहीं पाते हैं. ऐसे लोगों के लिए जीवन का सन्दर्भ महज साँस लेने से नहीं, महज पारिवारिक दायित्व निर्वहन से नहीं, अपनी जिम्मेवारियों को पूरा करने से नहीं वरन सम्पूर्ण परिदृश्य में सम्मिलित रहता है. ऐसे लोग अपने जीवन का एक-एक पल न केवल समाज के लिए वरन सामाजिक उत्थान के लिए बिता देना चाहते हैं. ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो अपने ऐसे चंद पलों के द्वारा न केवल उतने दिनों के लिए वरन आजीवन रूप से हमारे साथ जुड़ जाते हैं. ऐसे लोगों के साथ बिताया गया एक छोटा सा पल भी अपने आपमें एक जीवन होता है, एक ज़िन्दगी होती है. आज जिस स्थिति में समाज का सञ्चालन दिख रहा है, उसमें ऐसे लोगों को भी मानक रूप में समाज के सामने लाने की आवश्यकता है जो अपने जीवन को दूसरों के लिए समर्पित किये हुए हैं. यदि हम सब ऐसा कर पाते हैं तो न केवल ऐसे लोगों का सम्मान कर सकेंगे वरन समाज को भी एक दिशा दे सकते हैं.

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