कार से उतरते ही सबसे पहले
आँखों के आगे चार पानी के जहाज सजे हुए नजर आये. एक समुद्री तट के ठीक किनारे और
बाकी तीन किनारे से थोड़ा दूर. चारों ओर अँधेरा और उस अँधेरे को चीरते जहाजों की
रौशनी समुद्री लहरों के साथ अजब-अजब सी आकृतियाँ बना रही थी. दिन में नीला दिखाई
देने वाला विशाल समुद्र रात के अंधकार में दूर-दूर तक काला नजर आ रहा था. आँखों
में सामने सजे, समुद्र के सीने पर स्थिर जहाजों की मनमोहक रौशन छवि को कैद करते
हुए उस जगह के लिए बढ़े जहाँ उस रात छोटी बेटी आशी का जन्मदिन मनाया जाना था.
सीढ़ियाँ चढ़कर जब ऊपर पहुँचे तो अद्भुत नजारा दिखाई दे रहा था. एक तरफ रंग-बिरंगे
गुब्बारों, सजावटी झालरों, रंगीन रौशनी से झिलमिलाता हॉल और दूसरी तरफ विशाल लहराता
समुद्र. हाथों में कैद कर लेने भर की दूरी पर समुद्री किनारा और उस पर पर
कोस्टगार्ड के जहाजों की उतराती रौशनी. ठंडी-ठंडी हवा को साथ लेकर समुद्री लहरें
रौशनी के साथ ऐसे भागदौड़ करने में लगी थी मानो वे भी आशी के जन्मदिन में बच्चों के
साथ खेलकूद रही हों.
कुछ समय बाद समुद्री किनारे से थोड़ा दूर स्थिर तीनों जहाजों
से आसमानी आतिशबाजी के नज़ारे दिखाई देने लगे. इधर जन्मदिन पर बिटिया रानी केक काट
चुकी थी और उधर तीनों जहाजों से होती आतिशबाजी ऐसा मालूम पड़ती थी जैसे इसी ख़ुशी
में हो रही हो. लाल, नीले, हरे, पीले रंग खिलकर बिखरते तो पूरा समुद्र उसी रंग में
सराबोर दिखाई देने लगता.
समुद्र से मीलों दूर रहने वाले
हम लोगों के लिए सामने का नजारा अद्भुत ही कहा जायेगा जबकि हमारे छोटे भाई और जन्मदिन
पर आमंत्रित लोगों के लिए ऐसे नज़ारे सामान्य सी बात थी. पोर्टब्लेयर में नेवी
अधिकारी होने के नाते उसका समुद्र से याराना ही कहा जायेगा. उसी ने बताया कि
कोस्टगार्ड का दिन विशेष होने के कारण इन जहाजों को सजाया जाता है. संभवतः उस दिन
भी कोई विशेष आयोजन हो रहा था. एक तरफ जन्मदिन के लिए सजी हुई जगह रौशनी की
जगमगाहट थी तो सामने कोस्टगार्ड के जहाजों पर भी रौशनी खिल रही थी.
एक तरफ यहाँ भी
मधुर संगीत जन्मदिन के उल्लास में झूम रहा था तो दूसरी तरफ कोस्टगार्ड ऑफिस से भी संगीत
की लहरियां रह-रह कर कानों में टकरा जाती थीं. छोटे भाई के दोस्तों, उसके सहयोगियों,
सीनियर्स का आना शुरू हुआ. बच्चे अपनी मस्ती में मगन थे और बड़े अपनी
ही मस्ती में. खुले आसमान के नीचे पार्टी अपने यौवन पर थी. नाच-गाना, जाम टकराना,
हंसी-मजाक, बच्चों का उछलना-कूदना सबकुछ आनंदित करने वाला था. सेना के अनुशासन के
साथ-साथ उसकी मस्ती को सुना करते थे मगर यहाँ खुद अपनी आँखों से देख भी रहे थे.
छोटे भाई के सहयोगी, मित्र, उसके सीनियर्स आदि बहुत ही आत्मीयता से मिले. अंडमान-निकोबार की यात्रा का मन कई वर्षों से था
और दिल में एक ही अभिलाषा थी सेलुलर जेल दर्शन की. इस बार जब कार्यक्रम निर्धारित
हुआ तो फिर उसको ऐसे बनाया कि सबके साथ आशी का जन्मदिन मनाने का अवसर निकल आये.
यहाँ सबके बीच आकर, एक अद्भुत और हम लोगों के लिए दुर्लभ नज़ारे के बीच जन्मदिन का
उल्लास यात्रा की एक विशेष उपलब्धि कही जा सकती है. अपने परिवार के साथ किसी भी
आयोजन का अपना आनंद है और वो आनंद तब और बढ़ जाता है जबकि सबकी तरफ से भरपूर
सम्मान-आदर मिले. एक पल को लगा नहीं कि हम उन सबके बीच अजनबी से हैं. सबसे पहली मुलाकात
और चंद पल की मुलाकात में ही अपनापन. सबकी अपनी मस्ती, अपना ही अलग अंदाज.
बहुत-बहुत मजा आया समुद्र के किनारे की उस विशेष पार्टी का.
बड़े भाई होने का एक तरह का ये
फायदा भी रहता है कि छोटे भाई के सभी मित्र भरपूर सम्मान-आदर देते हैं. यहाँ छोटे
भाई के मित्र, सहयोगी तो आदर-सम्मान दे ही रहे थे, उसके बॉस भी बड़ी गर्मजोशी से
मिले. उनकी आत्मीयता देखकर एहसास ही नहीं हो रहा था कि कोई बॉस जसा व्यक्तित्व बात
कर रहा है. बातचीत में, व्यवहार में अत्यंत सहज, अत्यंत मधुर. अंडमान-निकोबार को
बहुत अच्छे से घूमने का बारम्बार आग्रह सा करना, भले ही एक औपचारिकता सी हो किन्तु
ऐसा लगा नहीं कि वे महज औपचारिकता कर रहे हैं. वापसी में मिलते हुए विदा लेना
दर्शाता है कि उनको संबंधों का निर्वहन करना बखूबी आता है. रात काफी हो चली थी.
लोगों के वापस जाने का क्रम भी शुरू हो गया था. अगले दिन हम लोगों को भी हैवलॉक की
यात्रा पर निकलना था सो घर वापसी की मजबूरी थी. पार्टी के सुरूर को, समुद्र के
नशे को, जगमगाती रौशनी की मदहोशी को अधूरे मन से अलविदा कहते हुए वापस घर जाने को
कार में बैठ लिए. अब आँखों में रंगीन समुद्र, झिलमिलाती लहरें, रोशन जहाज और
पार्टी की मस्ती कैद थी, जो अगली सुबह हमारे साथ हैवलॉक चलने वाली थी.
nice article with awesome depiction!! :)
जवाब देंहटाएंVery nicely worded...
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