मंत्रियों,
सांसदों, विधायकों के भ्रष्टाचार -- शर्म,
शर्म, शर्म
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घोटालों की
राशि का लगातार बढ़ते जाना -- शर्म, शर्म, शर्म
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महिलाओं के
विरुद्ध अपराधों में लगातार वृद्धि होते जाना -- शर्म,
शर्म, शर्म
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अपराधों,
घोटालों, भ्रष्टाचार में उच्चाधिकारियों का शामिल होना -- शर्म,
शर्म, शर्म
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राजनीति का
अपराधीकरण, अपराधियों को शरण देने में राजनीतिज्ञ सबसे आगे -- शर्म,
शर्म, शर्म
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तमाम सारे
आपत्तिजनक बयानों का आये दिन दिया जाना -- शर्म, शर्म, शर्म
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धर्मनिरपेक्षता,
साम्प्रदायिकता के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश,
तुष्टिकरण की नीति लागू करने का प्रयास -- शर्म,
शर्म, शर्म
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मंहगाई को
किसी भी स्तर पर रोकने में सरकार की नाकामी -- शर्म, शर्म, शर्म
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आर्थिक मोर्चे
पर लगातार असफलता -- शर्म, शर्म, शर्म
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विदेश नीति के
मामलों में भी खास सफलता न मिलना -- शर्म, शर्म, शर्म
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पाकिस्तानी
सेना,
आतंकवादियों द्वारा आये दिन देश में अराजकता -- शर्म,
शर्म, शर्म
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शर्म,
शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म, शर्म
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आखिर कितनी
शर्म है हममें और हमारी सरकार में?
शर्म!कहाँ बची? कब का घोल कर पी गए !
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