हमारे शहर में भी मुहिम चलती रहतीं हैं, कभी किसी बात पे तो कभी किसी और बात पे. अब जल्द ही हम युवा लोग एक मुहिम और सार्थक मुहिम छेड़ने वाले हैं....आरक्षण को लेकर और वो भी आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर. इस मुद्दे पर जब भी चर्चा की गई जातिवादी लोगों को छोड़ कर किसी का भी सहयोग नहीं मिला और कभी नहीं मिला.
चित्र गूगल छवियों से साभार
सवर्ण हो या पिछड़ा, दलित हो या मुस्लिम-हिन्दू-ईसाई कोई भी हो उसे किसी न किसी रूप में यदि आर्थिक संबल प्राप्त नहीं है तो उसका आगे बढ़ पाना मुश्किल हो जाता है. एक उदाहरण है कि उत्तर-प्रदेश में एक जाति है "खंगार" बुन्देलखण्ड क्षेत्र में विशेष रूप से मिलती है, वे आर्थिक रूप से बुरी तरह से पिछड़े हैं पर सरकारी दस्तावेजों में सामान्य वर्ग के होने के कारण आज भी उनको आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका है. अपनी अतिशय पिछड़ी आर्थिक स्थिति के कारण वे दलितों से, पिछड़ों से, अनूसूचित जातिवालों से भी गयी-गुजरी स्थिति में हैं.
हमारा मानना है कि आरक्षण का लाभ अब आर्थिक आधार पर हो. एक ऐसे अनूसूचित जाति वाले व्यक्ति को जो मंत्री हो, IAS अधिकारी हो अथवा अन्य किसी उच्च पद पर हो उसके परिवार को आरक्षण का लाभ किस कारण से दिया जाए, जबकि अब वो हर तरीके से सक्षम है.
ठीक इसी तरह से हमारा मानना है कि आरक्षण की राजनीतिक क्षेत्र में भी पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है. यहाँ भी वर्षों से एक ही परिवार का कब्ज़ा है तथा शेष समुदाय आज उनका गुलाम बना घूम रहा है. आरक्षण के इसी पुनर्मूल्यांकन के लिए जल्द ही शहर के जागरूक युवा एक मुहिम छेड़ने जा रहे हैं क्योंकि ये तो एहसास हो ही गया है कि अब "बहरी सरकार को जगाने के लिए धमाके की जरूरत है." आप भी दूर रहकर ही सही पर हमारी इस मुहिम का हिस्सा बने और जागरूक नागरिक होने का दायित्व निर्वहन करें.
वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
जवाब देंहटाएंआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक