देश में फिर बहस छिड़ गई है। राजनेता अपनी कहानी कह रहे हैं, मीडिया अपनी तरह का राग अलाप रहा है, उद्योगपति अपनी बयानबाजी करने में लगे हैं, योग गुरु अपनी राय दे रहे हैं। इन सभी के पीछे से एक ही आवाज आ रही है कि भ्रष्टाचार को मिटाना है।
भ्रष्टाचार को मिटाने की बात तो लम्बे समय से चली आ रही है। आम जनता भी इससे मुक्ति चाहती है पर किसी भी रूप में उसे रास्ता नहीं दिख रहा है। इधर पिछले कुछ समय से नामधारी और बड़े-बड़े नेताओं के भ्रष्टाचार में लिप्त होने से इस ओर सजगता से काम हुआ है। अब तो न्यायालय भी इस बाबत चर्चा करने लगे हैं।
बहुत विस्तार में न जाकर बस यही कि क्या हम सब मिल कर भ्रष्टाचार के विरुद्ध कोई मुहिम चला पायेंगे?
ब्लॉग को ताकत समझने वाले और इस ताकत का प्रयोग आपस में आरोप-प्रत्यारोप में करने के स्थान पर क्या हम इस ताकत का उपयोग भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने में कर पायेंगे?
चर्चा करियेगा और साथ भी दीजिएगा।
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जवाब देंहटाएंब्लॉग को ताकत समझने वाले और इस ताकत का प्रयोग आपस में आरोप-प्रत्यारोप में करने के स्थान पर क्या हम इस ताकत का उपयोग भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने में कर पायेंगे? एक बार फिर से बेहतरीन लेख़ इसे भी पढ़ें
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार को मिटाना तो है, लेकिन कैसे?
जवाब देंहटाएंइसकी शुरुआत स्वयं से ही करनी पड़ती है। पहले हम रिश्वत देने से परहेज करें। जब हमें हमारा फायदा दिखायी देता है तो हम रिश्वत को भ्रष्टाचार नहीं कहते। बच्चों को अच्छे स्कूल में प्रवेश कराने के लिए डोनेशन देते हैं। अपने मकान के आगे की जमीन को रोकने के लिए घूस देते हैं। इन्कम टेक्स बचाने के लिए ना जाने क्या-क्या करते हैं, आदि आदि। हम कम से कम आम नागरिक के मध्य फैल रहे भ्रष्टाचार को तो दूर कर ही सकते हैं। बस प्रतिज्ञा कर लें कि थोड़ा कष्ट उठा लेंगे लेकिन घूस नहीं देंगे। महिलाएं अपने पतियों की आमदनी पर निगाह रखें कि पैसा कहाँ से आ रहा है। ऐसे बहुत से कदम हैं जिनसे आम जनता के बीच फैल रहा भ्रष्टाचार दूर हो सकता है। जब ये दूर होगा तो इन्हीं परिवारों से संस्कारित राजनेता, नौकरशाह, पत्रकार भी निकलेंगे। इसलिए पहले परिवार को सुधारों
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