15 नवंबर 2010

राजनैतिक क्षमताओं का प्रतिफल तो अवश्य ही मिलेगा


हो गई फुर्सत अपने चुनाव से। मतदान 10 नवम्बर को हुआ और मतगणना 12 नवम्बर को हो गई। परिणाम जैसा मालूम था वैसा निकला। निवर्तमान शिक्षक विधायक सुरेश त्रिपाठी का जीतना तय समझा जा रहा था और जीते भी वही।

माध्यमिक शिक्षक राजनीति में शर्मा गुट का एकाधिकार को तोड़ने का प्रयास भी उन्हीं के गुट के बागी सदस्यों द्वारा किया गया। इसमें दो बार के शिक्षक विधायक रह चुके लवकुश मिश्रा को उम्मीदवार बनाया गया। शर्मा गुट के बागी सदस्यों की राजनीति और रणनीति शर्मा गुट पर हावी न हो सकी परिणामतः सुरेश त्रिपाठी लम्बी जीत के सहारे फिर से शिक्षक विधायक चुन लिए गये।

हमारे अलावा भी अन्य दूसरे उम्मीदवार मैदान में थे। कुछ को कम तो कुछ को उनकी आशा के अनुरूप मत प्राप्त हुए। अपना तो यह हाल रहा कि बस मत मिल ही गये। जितनी आशा थी उतने मत भी प्राप्त नहीं हो सके। सम्भवतः इसे भी उस गुटीय राजनीति का परिणाम समझा जाये जो सबको अच्छा समझने के बाद भी अपना मत शर्मा गुट के उम्मीदवार को देना चाहती है।

चित्र गूगल छवियों से साभार

बहरहाल दस जिलों में फैले निर्वाचन क्षेत्र के द्वारा हमारी राजनैतिक उपस्थिति दर्ज हो गई है। अब आगे के लिए प्रयास करना है आज नहीं तो कल, शिक्षक विधायक न सही किसी अन्य क्षेत्र से ही सही विधायिका तक तो पहुँचना ही है। कर्म करना अपना फर्ज है और यदि सकारात्मक कार्य किया जाये तो परिणाम भी सकारात्मक निकलते हैं।

राजनीति के क्षेत्र में हमारी उपस्थिति को सभी ने बहुत ही गम्भीरता से लिया और महसूस किया है। इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि आज नहीं तो कल हमारी राजनैतिक क्षमताओं को उनका प्रतिफल सकारात्मक रूप में अवश्य ही मिलेगा।

अन्त में--राजनैतिक क्षमताओं को जब प्रतिफल मिलेगा तब देखा जायेगा, अब कल से अपनी ब्लॉग क्षमताओं, लेखन क्षमताओं को आप सभी के सामने फिर से रखा जायेगा।


1 टिप्पणी:

  1. हम तो आपकी समफलता के समाचार का बेसब्री से इन्‍तजार कर रहे थे। खैर हार-जीत तो लगी ही रहती है, अपना कर्म नहीं छूटना चाहिए। आपकी ऊर्जा बनी रहे, शुभकामनाएं हैं।

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