07 जून 2010
यदि ये ही इन्साफ है तो मंजूर नहीं...कुछ तो विचार करो कानूनविदों
भोपाल गैस काण्ड ...................
आज हुई है सजा..............
पूरे पच्चीस साल बाद................
क्या इसी को इन्साफ कहते हैं?
इन्साफ के लिए क्या इतने वर्षों का इंतज़ार सही है?
यही लोकतंत्र की शक्ति कहलाएगी?
क्या प्रभावित परिवार सुकून महसूस करेंगे?
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बस इतना ही सोचें क़ानून के जानकार और इन्साफ की दुहाई देने वाले........
चित्र साभार गूगल छवियों से
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बिलकुल सही बात और ब्लॉग का सही मायने में सार्थक उपयोग करती पोस्ट ,इस तरह के विरोध को ही ब्लोगिंग कहते है ,धन्यवाद आपका |
जवाब देंहटाएंइस से बड़ा अन्याय और कोई नहीं होगा ! एक बेहूदा मजाक हुआ आज भोपाल गैस पीडितो के साथ!
जवाब देंहटाएंहमें भी ये इंसाफ मंजूर नहीं है। कानून कुछ तो इस त्रासदी पर विचार करें। उन बेगुनाहों पर विचार करे जिनकी जान इस त्रासदी ने ले ली।
जवाब देंहटाएंयह झगड़ा कानून के जानकारों का नहीं है। संसद को सोचना चाहिए कि ऐसा कानून क्यों नहीं कि ऐसी विभीषिका के अपराधियों को कठोरतम सजा दी जा सके। उसे बनाना भी चाहिए। संसद और सरकार को यह भी सोचना चाहिए कि इतनी अदालतें कायम करे कि फैसला करने में किसी भी मामले में दो वर्ष से अधिक का समय न लगे। अधिक जटिल और लंबे मामलों में विशिष्ठ अदालतें स्थापित की जाएँ। जिन के पास गिने चुने मुकदमे हों।
जवाब देंहटाएंइस तरह की व्यवस्था में सरल, शीघ्र और सबको न्याय संभव ही नही है. यही व्यक्ति यदि घोर पूंजीवादी देश अमेरिका में होता तो साल-दो साल में ही कहानी निपट गयी होती..
जवाब देंहटाएंवे नेता और अधिकारी भी सजा के पात्र हैं जिन्होंने केस को गड़बड़ाया और तेइस साल का समय भी..
आवश्यकता एक संपूर्ण क्रान्ति की क्योंकि भ्रष्ट नेता और अफसर इस व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं करेंगे..
अफसोसजनक!
जवाब देंहटाएंउफ! अफसोसजनक निराशाजनक और दर्दनाक भी
जवाब देंहटाएंकानून अपर्याप्त है ...दिनेश राय जी की बात ही सही है !
जवाब देंहटाएंआहें! आहें! और बस आहें!.........पर आहों से भी कुछ नहीं होता, यदि होता तो सजा इतनी देर से और इतनी कम नहीं मिलती....
जवाब देंहटाएंआहें! आहें! और बस आहें!.........पर आहों से भी कुछ नहीं होता, यदि होता तो सजा इतनी देर से और इतनी कम नहीं मिलती....
जवाब देंहटाएंकानून का कम और नेताओं का ज्यादा दोष दीखता है सर जी .......नेताओं को भी सजा देनी होगी.........
जवाब देंहटाएंकानून का कम और नेताओं का ज्यादा दोष दीखता है सर जी .......नेताओं को भी सजा देनी होगी.........
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