सीनियर तथा जूनियर का विवाद ब्लॉग के क्षेत्र में नया भले हो पर संसार के लिए नया नहीं है। कॉलेज के समय से लेकर अन्तिम पड़ाव तक यही सीनियर जूनियर का चक्कर चलता रहता है। इसके बाद भी हमें यह नहीं समझ आया कि आखिर कौन से मानक हैं जो सीनियर और जूनियर का निर्धारण करते हैं?
एक उदाहरण-
माना कि किसी परिवार का बेटा डी0एम0 बन जाता है और उसका पिता जिलाधिकारी कार्यालय में लिपिक है अथवा किसी अन्य सम्बन्धित विभाग में किसी अधीनस्थ पद पर है तो यहाँ क्या वह कार्यालय में अपने डी0एम0 पुत्र को सलाम करेगा?
एक और उदाहरण-
माना कि कल को राहुल गाँधी देश के प्रधानमंत्री बन गये तो क्या इस देश के वृद्ध मंत्री, सरकारी कर्मचारी, अधिकारी उसके अधीनस्थ नहीं कहलाये जायेंगे? इनमें से कौन सीनियर और कौन जूनियर कहलायेगा?
इसी तरह ब्लॉग से सम्बन्धित-
माना दो व्यक्ति अलग-अलग आयुवर्ग के एक साथ एक साल में ही ब्लॉगिंग करना शुरू करते हैं तो उनमें सीनियर और जूनियर का निर्धारण कैसे होगा?
यह भी सम्भावना है कि एक कम आयु का नौवजवान किसी बड़ी आयु वाले से पूर्व से ब्लॉगिंग में सक्रिय है तो यहाँ कौन सीनियर और कौन जूनियर समझा जायेगा? आयु को आधार बनाया जायेगा या फिर ब्लॉगिंग करने वाले वर्ष को?
अब फैसला कीजिए और ब्लॉग पर चल रहे विवाद को समाप्त करने का उपाय खोजिए। हो सकता है कि अतिवादिता में कुछ गड़बड़ हुई हो पर उसका मतलब यह नहीं कि यह सब हो।
आइये हिन्दी के लिए कुछ करें, हिन्दी साहित्य के लिए कुछ करें। ब्लॉग जैसी शक्ति का प्रयोग जनहित में करें न कि स्वार्थ में।
आशा है कि बड़े-बड़े लोग हमारी बात का मन्तव्य निकाल कर कुछ समाधान करने का प्रयास करेंगे।
सभी चित्र गूगल छवियों से साभार
बहुत गंद बहा है इस नदी में...
जवाब देंहटाएंब्लॉग जैसी शक्ति का प्रयोग जनहित में करें न कि स्वार्थ में।
जवाब देंहटाएंबात यहाँ वही हो गयी है कि पहले मुर्गी या अंडा ?
जवाब देंहटाएंसच है इस बात का कोई मापदंड नहीं है कि कौन सीनियर और कौन जूनियर? बढ़िया आलेख | १००% सहमत हूँ कि हम सब को मिल कर हिंदी ब्लॉगिंग के विषय में सोचना चाहिए !
ये बात तो तय करने वाले ही सही बता सकते हैं डा. साहब , हमारे हिसाब से तो हर जूनियर अपने सीनियर से जूनियर है और हर जूनियर अपने सीनीयर से जूनियर है । है कि नहीं :)
जवाब देंहटाएंकिसी भी क्षेत्र में जो अधिक अनुभव रखते हैं .. उसे सीनियर कहा जाता है .. इस आधार पर कम अनुभव रखने वाला तो जूनियर होगा ही .. यह उनके क्रियाकलापों को देखकर ही तय किया जा सकता है .. इसमें फिजूल के बहस की कोई आवश्यकता नहीं है !!
जवाब देंहटाएंब्लागिंग में आकर लेखन के अतिरिक्त अन्य आलतू फालतू की चीजों के बारे में सिर्फ वही सोचेगा, जिसके पास लिखने के लिए कुछ नहीं बचा या फिर ऎसी बातों के साथ उसका कोई निजि स्वार्थ जुडा हुआ है.....होना तो सिर्फ ये चाहिए कि अच्छा लिखा जाए और अच्छा पढा जाए बस!
जवाब देंहटाएंअंडे में से हाथी का बच्चा?? जांच समिति का गठन किया जाये.
जवाब देंहटाएंजूनियर रहने में ही भलाई है!
जवाब देंहटाएंअखाड़ेबाजी हर जगह होती है. सीनियर जूनियर को प्रोत्साहित करने का दिखावा करते हैं मगर एन मौके पर टांग खींच लेते हैं..! उभरने के अवसर कुचल दिए जाते हैं.
जवाब देंहटाएंमगर ब्लॉग जगत में ऐसा नहीं है. छापना आपकी मर्जी है पढ़ना दूसरे की. जो अच्छा लिखेंगे वे निश्चय ही उन लोगों द्वारा पढ़े जाएंगे जो अच्छा पढ़ना चाहते हैं.
जो अधिक समय से लेखन कार्य कर रहा है वह सीनियर तो है ही. यह अलग बात है कि कई सीनियर हमारे विद्यार्थी जीवन में भी जूनियर से कम मेधावी होते थे.
वरिष्ठ कम प्रतिभावान और कनिष्ठ असाधारण प्रतिभा का धनी सकता है.
...असाधारण प्रतिभा का धनि हो सकता है.
जवाब देंहटाएं..'हो' छूट गया...इसके लिए खेद है.
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जवाब देंहटाएंब्लॉग जैसी शक्ति का प्रयोग जनहित में करें न कि स्वार्थ में।
जवाब देंहटाएंआपके पूरे पोस्ट को यह एक वाक्य सर्वोत्तम बना रही है ,और हमारा प्रयास सिर्फ इसी ओर है जिसमे बिना किसी भेद भाव के सबका स्वागत है | रही बात सिनिअर और जूनियर की तो यह तो आप भी जानते हैं की अनुशासन और पारदर्शिता से ही किसी नेक उद्देश्य को अंजाम तक पहुँचाया जा सकता है और जिसके लिए बड़ों को पूरा सम्मान के साथ छोटों को पूरा आदर मिलना चाहिए और इसे हर इन्सान को अपने जीवन में अपनाना चाहिए |
wah !
जवाब देंहटाएंwaah !
waaaaaaaaaaaaaah !
Sahi hai
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