06 अप्रैल 2010

इतने सारे विषय देख कर हम तो ख़ुशी से झूम उठे -- लिखो, लिखो खूब लिखो...




एक ब्लॉगर होने के नाते और उस पर एक लिख्खड़ होने के नाते इस समय हमारा दिल और दिमाग पूरी तरह से बल्लियों उछल रहा है। इस उछाल का कारण भी वह आसानी से जान सकता है जो थोड़ा भी जागरूक होकर लेखन से जुड़ा है। अपने दिमाग को चलाइये और दखिये, यदि आप भी खुपड़ची ब्लॉगर हैं तो आपका दिल भी बल्लियों उछलने लगेगा।


(चित्र गूगल छवियों से साभार)

हाँ जी, देखिये न, ब्लॉग बनाया है तो रोज लिखना भी है क्योंकि लिखने का रोग लगा है। अब रोज-रोज कहाँ से कोई मुद्दा लाया जाये? कहाँ से विषयों को पैदा किया जाये? जैसे बैशाखनन्दन उदास रहते हैं सावन में चारों और हरी-हरी घास देखकर कि कैसे खाई जायेगी इतनी सारी घास अकेले। ठीक इसी तरह हम भी उदास रहते थे कि कैसे रोज लिखा जायेगा कुछ न कुछ क्योंकि कोई विषय ही नहीं है। अब समय ने पलटा खाया जैसे गर्दभराज को बैशाख में सभी जगह हरियाली सफाचट मिलती है तो वे खुशी से झूम-झूम जाते हैं कि आखिर पूरी घास खाकर ही माने, इसी तरह हम भी अब खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं बेइंतहा विषयों को अपने आसपास देखकर।

अदालत की कृपा से कुछ निर्णय आये तो लिवइन रिलेशनशिप पर लिखने को मिला।
विवाहपूर्व यौन सम्बन्धों की वकालत पर लिखने को मिला।


इसी तरह गौर फरमाइये-

सानिया मिर्जा की शादी,
कसाब के मुकदमे का फैसला,
महिला आरक्षण बिल,
लालू का आय से अधिक सम्पत्ति मुकदमे से राहत,
मोदी से पूछताछ,
बच्चन का समारोही संकट,
आई0पी0एल0,
कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियाँ,
मैट्रो ट्रेन की नई शुरुआत,
बोर्ड परीक्षाओं का नया पैटर्न,
शिक्षा अधिकार,
विद्युत व्यवस्था,
मायावती की रैली का खर्चा,
स्मारकों की सुरक्षा हेतु बल का गठन,
जनगणना की अच्छाइयाँ, बुराइयाँ,
माओवादियों और नक्सलवादियों पर विचार,
लोहिया जी की जन्म शताब्दी,
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और भी विषय हैं............तो क्यों हो मन प्रसन्न?

अरे! आप भी तो प्रसन्न हो लो, क्योंकि आप भी हैं ब्लॉग के जबरदस्त चिलमची। क्या कहा नहीं हैं, अरे नहीं होते तो यहाँ क्या कर रहे होते?

हो जाओ प्रसन्न क्योंकि ऐसे मौके बहुत ही कम आते हैं।

जय हो............