31 अगस्त 2009

फ़िर एक ब्लॉग की चर्चा की है आपसे


हमेशा की तरह अपने यार दोस्तों की मंडली के साथ बैठे हुए गपशप हो रही थी। किसी मुद्दे पर गरमागरम बहस तो किसी पर सार्थक चिन्तन। हर तरह की बातें हो रहीं थीं। इस समय लगभग सभी दोस्त किसी न किसी दौर से गुजर रहे हैं। कोई नौकरी में नियमित होने के दौर से, कोई नौकरी में तरक्की के दौर से। किसी को बढ़े वेतन की चिन्ता हो रही है तो कोई पिछले महीनों के वेतन का भुगतान न होने के कारण परेशान है।
इन्हीं सबके बीच पता नहीं किस विषय को लेकर चर्चा छिड़ी तो उन तमाम सारे बिन्दुओं पर रोचक यादें आपस में बाँटीं गईं जो किसी न किसी के साथ पहली बार के रूप में सामने आईं थीं। यह शायद भागदौड़ का नतीजा था या कहें कि ज्यादा व्यस्तता में हम कुछ सुकून के पल चाहते हैं जो हमें यार दोस्तों के साथ आसानी से मिल जाते हैं। इसी कारण से किसी चुहल के कारण से या किसी को परेशान करने के कारण से इस तरह के विषयों का आदान प्रदान होने लगा।
किसी ने अपने पहली बार अपने पिता से मार खाने का किस्सा सुनाया तो किसी ने बाहर पहली बार पिटने की कहानी सुनाई। किसी ने बताया कि पहली बार लड़कियों के साथ डिग्री कालेज में पढ़ने पर उसकी क्या हालत हुई थी तो किसी ने बताया कि क्लास की सबसे स्मार्ट लड़की ने पहली बार उससे नोट्स माँगे तो उसे कैसा लगा था। किसी ने अपनी पहली ट्रेन यात्रा के बारे में बताया तो किसी ने पहली बार लिफट में ऊपर नीचे होने पर हुई गुदगुदी को बताया।
कैसे तीन चार घंटे और चाय के तीन दौर निकल गये पता ही नहीं चला। जब अन्दर से अम्मा की आवाज आई तब लगा कि बहुत देर हो गई है। यादों में डूबते उतराते हम सभी दोस्त अपने अपने घर को चल दिये। बैठकी तो हमारे ही घर पर लगी थी सो हमें कहीं नहीं जाना था पर दिमाग जरूर इधर उधर चलने लगा। थोड़ा बहुत सोच विचार कर अपने दिमाग को ठंडा किया और अपने दूसरे कामों में लग गये।
काम दूसर भले कर रहे थे पर दिमाग में एक फितूर बैठ गया था। इसको हवा अगले दिन हमारे कुछ खास दोस्तों ने दी जो हमारे ब्लाग के नियमित पाठक हैं। हमारी सोच को आयाम मिलता दिखा। हमारे दोस्तों ने कहा कि इस विषय पर एक ब्लाग बनाओ जिसमें लोग अपने पहले एहसास को आपस में बाँटें। कैसा लगा पहली बार जब कुछ काम किया। मसलन पहली बार किसी की सहायता की, पहली बार कोई कविता कहानी लिखी, पहली बार कुछ सामग्री छपी, पहली बार स्कूल में गये, पहली बार साइकिल, स्कूटर, कार आदि चलाना शुरू किया, पहली बार मासूमियत भरी चोरी घर में की, पहली बार अपनी गलती को किसी और के सिर पर डाला आदि आदि।
हमें लगा कि हाँ ऐसा हो सकता है। हम आपस में इतना सब कुछ आदान प्रदान करते हैं तो अपने पहले एहसास को क्यों नहीं बाँट सकते? बस ऐसा सोच कर बहुत दिनों की सोचा विचारी के बाद एक ब्लाग बना दिया पहला एहसास। इसे सामुदायिक ब्लाग के रूप में संचालित करना है। जो saathi सदस्य बनना चाहे वह हमें ई मेल करदे या फिर अपने पहले एहसास को हमें लिख भेजे।
आशा यही करते हैं कि आप सबका सहयोग मिलेगा और अवश्य ही मिलेगा। क्या आपको अपने पहले एहसास को हमसे बाँटना सुखद नहीं लगेगा?

10 टिप्‍पणियां:

  1. पहला अहसास बहुत बढ़िया प्रयास है |

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  2. ड़ाक्साब कुछ दिन पहले सब मित्र बैठे थे अचान्क एक ने मुझसे पूछा तूझे आखिरी बार मार कब पड़ी थी?आज आपकी पोस्ट पढ कर फ़िर पुराने दिन याद आ रहे हैं।

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  3. अच्‍छा कांसेप्‍ट है .. इस ब्‍लाग में एकरसता नहीं होगी .. इस ब्‍लाग के माध्‍यम से विविधता भरी विषयवस्‍तु का इंतजार रहेगा !!

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  4. इस तरह से तो
    जो चाहेंगे भुलाना
    वे कभी कुछ भी
    भुला न पायेंगे।

    बीती बातों में ही
    भरपूर मजा सब
    हर दिन निश दिन
    पायेंगे चुने बेचुने।

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  5. अपने भूतकाल में झाँकने का ये एक बढिया प्रयास है..........

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  6. 'पहले अहसास '. का अहशास ही रोमांचक है,सार्थक प्रयास के लिए बधाई

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