04 सितंबर 2009

हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बाद


फिर एक हेलीकाप्टर दुर्घटना और फिर एक अच्छे मंत्री की मौत। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का यूँ चले जाना लोगों को चैंका गया। बहरहाल किसी की मृत्यु भी दुखी करती है। इस मौत एवं दुर्घटना ने कई सारे सवाल भी खड़े किये हैं।
एक सवाल तो यह ही है कि मुख्यमंत्रियों तक के लिए सुरक्षा को हल्के रूप में क्यों लिया जाता है? हालांकि व्यक्तिगत रूप से हम नेताओं, मंत्रियों की तामझाम भरी सुरक्षा व्यवस्था के विरोधी रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी इस बात पर सहमति है कि कई बार इस तरह के हालात हो जाते हैं कि सुरक्षा आवश्यक समझ में आती है।
यहाँ ही रेड्डी जी के मामले में उनके लापता होने पर सबसे पहले शक आया था नक्सलवाद पर। सोचने की बात है कि यदि मुख्यमंत्री को नक्सलियों ने अपने कब्जे में कर लिया होता तो? इसी तरह के बिन्दु पर आकर हम सुरक्षा व्यवस्था के पक्ष में हामी भरते हैं।
अब सुरक्षा में चूक का सवाल, इससे पहले भी एक और मुख्यमंत्री (पंजाब के) की मौत भी कार में बम विस्फोट से हुई थी। उस समय कहा गया था कि मुख्यमंत्री के कारों के काफिले में कई कारें होतीं थीं और मुख्यमंत्री ही तत्काल यह निर्णय स्वयं लेते थे कि वे किस कार में बैठेंगे। इसके बाद भी उनकी कार स्टार्ट होते ही बम के धमाके से उड़ी। सोचने वाली बात है इतनी बड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी यह सब? यह एक बात और भी अपने में छिपाये है कि क्या उस समय मुख्मंत्री जी की सभी कारों में बम फिट था?
अब बात हेलीकाप्टर दुर्घटना की, क्या वाकई मंत्रियों, नेताओं को समय की इतनी अधिक कमी रहती है कि वे अपने दौरों के लिए हेलीकाप्टर का प्रयोग करें? हेलीकाप्टर का प्रयोग क्या वाकई जनता की भलाई के लिए जल्दी दिखाने के लिए किया जाता है? हेलीकाप्टर इतना ही आवश्यक है तो उसकी सुरक्षा के इंतजामात क्यों नही किये जाते? खराब मौसम में उड़ान की क्या आवश्यकता पड़ गई थी? क्या उड़ान सम्बन्धी नियम मंत्रियों के लिए नहीं हैं? और भी........................
इसके बाद सम्भव है कि हेलीकाप्टर के रखरखाव पर ध्यान न दिया जाये, हो सकता है कि मंत्रियों का हेलीकाप्टर पर उड़ना बन्द न हो, हो सकता है कि नियमों को ताक पर रखकर मंत्रियों की उड़ान जारी रखी जाये। जिस तरह से मुख्यमंत्री को खोजने का काम लगातार हाई फाई स्तर पर जारी रहा, अमेरिका, इसरो तक की मदद ली गई इससे अब यह भी सम्भव है कि कल को मुत्रियों के उड़ते समय उनके साथ एक दो और सुरक्षा हेलीकाप्टर उड़ा करें। शायद...........

6 टिप्‍पणियां:

  1. नियम कायदे सब हैं..मगर ये सत्ता के नशे में मद मस्त-पालन करें और करने दें, तब न!!

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  2. सच्चाई को उकेरति धारदार लेख, बहुत खुब।

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  3. विचारणीय आलेख | सच लिखा है आपने फिर भी .........

    आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी को श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ ।

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  4. राजशेखर रेड्डी का निधन एक जमीं से जुड़े नेता की क्षति है जिनका अब भारतीय राजनीति में अकाल होता जा रहा है ........सुरक्षा सम्बन्धी चूक पर आपने सही ध्यान आकृष्ट किया है.

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  5. समझो दाना-पानी ख़त्म हो गया था, और कुछ नहीं! ये तो सिर्फ बहाने है, सुराही के गले से ऊपर छलक आने के !

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