08 अगस्त 2009

अपने होटों पर सजाना चाहता हूँ

इधर पिछले पाँच-छः दिन से तबियत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई थी। हालत ये थी कि बैठा भी नहीं जा पा रहा था। लेते-लेते दिन कटे। आज कुछ हिम्मत करके आए। इन दिनों चुपचाप गाने-ग़ज़ल सुनते रहते थे। अपने पसंद की एक ग़ज़ल आपके लिए भी।

हलाँकि जगजीत सिंह हमारे बहुत अधिक पसंदीदा नहीं हैं फ़िर भी उनकी कुछ ग़ज़ल बहुत पसंद हैं। उनमे से एक ग़ज़ल आपके लिए

5 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी ग़ज़ल है। लेकिन आप के स्वास्थ्य को क्या हुआ? मैं भी एक सप्ताह वायरल भोग चुका हूँ।

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  3. सुन्दर गज़ल के लिये धन्यवाद और आपके स्वास्थ्य के लिये शुभकामनायें

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  4. थक गया मैं याद करते करते तुझको
    अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ

    ये ग़ज़ल हेमेशा से ही चाहिती रही है जगजीत साहिब की आवाज में बहोत बहोत बधाई इस नायब ग़ज़ल को सुनवाने के लिए और तबियत का खासा ख़याल रखें... आजकल मौसम बहोत खराब है ...


    अर्श

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  5. sahebji sabse pahle swasth ho jaao
    aap jaise umda blogar ko beemaar hone ka koi hak nahin hai....

    swasth raho
    mast raho
    aur vyast raho
    wish you all the best............

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