नवरात्रि का पर्व आज से प्रारम्भ हुआ और नव संवत् 2066 (नये वर्ष) का शुभारम्भ हुआ। अंग्रेजी माह के वशीभूत हम अपना ही नववर्ष भुला बैठे। वैसे भी इस पंचांग का अब कोई अर्थ ही नहीं रह गया है। हमारी नई पीढ़ी तो शायद हिन्दी माहों के नाम भी नहीं जानती होगी।
चलिए जानती हो या नहीं आज के दिन कुछ और न लिखकर अपने महीनों के नाम उस नई पीढ़ी के लिए जो किसी न किसी रूप में भारतीयता से जुड़ना तो चाहती है पर अपने सामने किसी आदर्श को न पाकर व्यथित है।
हिन्दी बारह माहों के नाम इस प्रकार से हैं-
1. चैत्र 2. वैशाख
3. ज्येष्ठ 4. आषाढ़
5. श्रावण (सावन) 6. भाद्रपद (भादों)
7. आश्विन (क्वार) 8. कार्तिक
9. मार्गशीष (अगहन) 10. पौष (पूस)
11. माघ 12. फाल्गुन (फागुन)
और अन्त में चुनावी चकल्लसराजनीतिक कुश्ती के अब अपने रंग दिखे,
उठापटक करने को सब दाँव मारते दिखे।
कैसे पटकें किसको पटके, कोशिश जारी है,
वोट के लालच में सब चरण चूमते दिखे।।
27 मार्च 2009
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