26 दिसंबर 2008

जिन्दा आतंकवाद से कैसे निपटें?????

20 दिसम्बर को अपने सेमिनार से फुर्सत पाये, वैसे देखा जाए तो फुर्सत आज तक भी नहीं मिली है। पहले आयोजन के सफल रूप से संपन्न होने की जद्दोजहद फ़िर आयोजन हो जाने के बाद लोगों के हिसाब-किताब को निपटाने की जद्दोजहद। इस कारण आज भी फुर्सत समझ में नहीं आ रही है। बस कुछ पल मिले और आ बैठे ब्लॉग की सैर करने।

कुछ ब्लॉग पर जाकर पढ़ना भी हुआ बस टिपण्णी नहीं कर पाये, इसका कारण ये समझ लीजिये की बहुत दिनों से ब्लॉग पर आना नहीं हो सका था। सोचा की अधिक से अधिक पढ़ ही लिया जाए..........

इधर कुछ पारिवारिक कार्यक्रम भी हैं जिनमें सहभागिता भी पूरी तरह करनी है। '

बहरहाल इस बीच यहाँ एक घटना या कहें किएक दुर्घटना हो गई जिसने सरकार, सत्ता, हनक, रॉब आदि को परिभाषित कर दिया। बीते दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के औरैया में एक अधिशाषी अधिकारी की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। इस घटना के आरोपी माने जा रहे बसपा विधायक को गिरफ्तार भी कर लिया गया. इस घटना का कारण रंगदारी भी बताया जा रहा है, बसूली भी बताया जा रहा है. कारण कुछ भी हो पर ये तो साफ़ हो गया है कि सत्ता की हनक में लोगों का जीवन सुरक्षित नहीं है. सरकार के लोग ही अब आम आदमी के लिए खतरा बन रहे हैं. इधर ये खतरा जन्मदिन के नाम पर रकम बसूली के कारण और भी बढ़ गया है.

पार्टी सुप्रीमो का जन्मदिन आर्थिक सहयोग दिवस के रूप में मनाये जाने की बात हो रही है और उतनी ही तेजी से धन की बसूली भी की जा रही है। बहरहाल समस्या ये नहीं कि क्या हो रहा है क्या नहीं.......बात तो यहाँ आकर रूकती है कि एक तरफ़ हम और हमारी सरकार आतंकवाद से लड़ रही है और दूसरी तरफ़ हमारे लोग ही आतंकवादी बन रहे हैं। जिन्दा घूमते इस आतंकवाद से कैसे निपटा जायेगा.....क्या कोई भी बतायेगा???

2 टिप्‍पणियां:

  1. इस तरह की बढती प्रवर्ती समाज के लिए बहुत घातक है |

    जवाब देंहटाएं
  2. हमे बाहर के दुश्मनो से ज्यादा खतरा भीतर के ्लोगो से है।

    जवाब देंहटाएं