आज की ये पोस्ट कुछ ख़ास तो नहीं बस यूँ ही बैठे-बैठे ब्लॉग की यात्रा करते-करते दिमाग में एक विचार आया और लगा कि आप लोगों से भी ये विचार बाँट लेना चाहिए. अपने ब्लॉग पर पोस्ट करने के अलावा बहुत सा समय दूसरे ब्लॉग की यात्रा करने में भी लग जाता है. इस दौरान बहुत से ब्लॉग से कुछ जानकारियाँ भी मिल जातीं हैं और कुछ ब्लॉग से बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है. बहरहाल वे मित्र क्षमा करेंगे जिनके ब्लॉग की यात्रा करने के बाद भी उस पर टिप्पणी नियमित रूप से या बिल्कुल भी नहीं कर पाते हैं. ये अभी हमारे समय को इस तरफ़ ज्यादा न लगा पाने के कारण हो रहा है. ब्लॉग पर टिप्पणी करने से अधिक हम उनको पढने में ज्यादा लग जाते हैं...पुनः क्षमा चाहते हैं।
इधर ब्लॉग यात्रा के दौरान देखा है कि यहाँ भी एक तरह की सामाजिक व्यवस्था अनजाने ही काम करती है. किसी किसी पोस्ट पर ढेरों टिप्पणी और किसी किसी पोस्ट पर एक-दो टिप्पणी झांकती सी दिखतीं हैं. यहाँ ये नहीं कहना है कि सभी पढने वाले सभी पोस्ट पर टिप्पणी करें पर देखा गया है कि किसी विषय विशेष पर टिप्पणी करने या न करने की स्थिति बनती दिखती है. जहाँ लगता है कि ये विषय विवादित है वहा टिप्पणियों की संख्या कम हो जाती है और किसी सर्व-ग्राह विषय को हंस कर स्वीकार किया जाता है. ये स्थिति भी समाज की तरह ही अपना प्रभाव दिखाती है। समाज में हम भी उस मुद्दे पर किसी तरह का कमेन्ट करने से बचते हैं जिस पर सामजिक स्थिति अपनी स्वीकार्यता नहीं देता है. इसी तरह लोगों को अधिक से अधिक अपनी तथा अपने विचारों की तरफ़ आकर्षित करने की दृष्टि से उन विचारों का समर्थन करते अधिक दीखते हैं जिन पर समाज अपनी आम राय बना देता है.
यहाँ आकर लगता है कि ब्लॉग क्या अपने आपको सामने लाने का मंच है या फ़िर सही को सही और ग़लत को ग़लत बताने का मंच है. हो सकता है कि ब्लॉग पर नए-नए होने के कारण अभी यहाँ के तौर-तरीकों से परिचित न हो पायें हों पर इतना तो पता चल ही गया है कि ब्लॉग पर कुछ ऐसा तो पकता है जो यहाँ भी लोगों को अपनी प्रस्थिति अपनी इमेज बनाने को प्रेरित करता है.
जो लोग नियमित ब्लॉग यात्रा करते हैं उनको विषय बताने की जरूरत नहीं है..........उनको इतना इशारा बहुत है. बहरहाल जो दिखा लिख दिया शेष तो सही ग़लत सभी के साथ है.
अच्छा लिखा है. इस पर काफ़ी चर्चा हो सकती है. अभी लचर हूँ. रात काफ़ी हो गयी है. आप आमंत्रित है मेरे एक पोस्ट पर. संभव है मनोरंजन के साथ कुछ प्राप्ति का भी योग बने. आभार.
जवाब देंहटाएंhttp://mallar.wordpress.com
अच्छा विषय चुना है ।
जवाब देंहटाएंमेरा तो सदा यह प्रयत्न रहता है कि नए चिट्ठों पर टिप्पणी करूँ । कई विषयों से दामन तो बचाना चाहते ही हैं हम परन्तु जब अति हो जाती है तो बोलना भी पड़ता है ।
घुघूती बासूती
छेड़ा ठीक है, पर इस की चर्चा वक्त ब वक्त करती रहनी पड़ेगी।
जवाब देंहटाएंsirf aur sirf tippani paana yaa dena kisi bhi blog ki safaltaa yaa asaflata nahin haen . aap ne padha bas yae bhi bahut hota haen . aur jitney jyadaa blog likhey jaaye vistaar utna hane naa ki jitni jyadaa hogii . tippani daene sae behtar hota haen ki agar aap ko charcha karni haen to kisi bhi blog par chjal rahee charcha ka link dae kar baat aagey badhaaye
जवाब देंहटाएंशायद समयाभाव के कारण टिप्पणी कहीं नहीं की जाती हो पर ऐसा नहीं है कि लोग चर्चा से कन्नी काटते हैं। देखा यह जाता है कि जहां कहीं बहस की गुंजाइश है, वहां चर्चा होती ही है। अब देखिये, आप ही के ब्लाग पर......
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा चल रही है ! और होना भी चाहिए ! रामराम !
जवाब देंहटाएं