आज एक समाचार देखा, समझ नहीं आया कि रामराज्य स्थापित हो गया है या किसी तरह का दिखावा हो रहा है? टी वी समाचारों पर दिखाया जा रहा था कि राहुल गांधी (मीडिया के युवराज) मजदूरों के साथ मिल कर मिट्टी डाल रहे हैं. बाकायदा एक मजदूर की तरह राहुल गांधी अपने कन्धों पर मिट्टी का तसला उठाये सभी के साथ डाल रहे हैं. इस दौरान उनके साथ किसी तरह के कोई नेता मौजूद नहीं थे. अब इसे कुछ भी कहा जाए पर सभी का (कांग्रेसियों का) यही कहना होगा कि राहुल गरीबों का दर्द समझते हैं. वाकई दर्द इसी तरह समझा जाता है. कहने की जरूरत नहीं कि ये ड्रामेवाजी पूरी तरह चुनावों को ध्यान में रख कर की जा रही है.
फिलहाल ड्रामेवाजी ही सही पर एक पल को राहुल मजदूरों के साथ तो आए........एक पल को गरीबों-अमीरों का भेद तो मिटा...........एक पल को राम राज्य तो स्थापित हुआ............एक पल को राजा भी प्रजा के साथ आया............एक पल को.....................सारा कुछ एक पल का ही किस्सा रहा पर मीडिया को मिला फुल टाइम का मसाला. युवराज का मजदूरों के साथ आना.
कुमार साहब, सब पॉलिटिक्स है...बंदे को अगला पीएम जो बनना है...कुछ भी करेगा...अपने पिताजी के नक्शे-कदम पर हैं राहुल बाबा...हाहाहाहा!
जवाब देंहटाएंमैं इन महाशय के विचार से सहमत नहीं हूँ ...हर बात में पालिटिक्स देखना ठीक नहीं ..मान भी लें की राहुल गाँधी यह सब दिखाने के लिये कर रहें हैं ...इतने ऊपर बैठकर अब दिखाने वाले, कमर झुकाने वाले भी अब कहाँ बचे हैं ...अब तो सबकुछ एक बेशर्म धंदा बन गया है
जवाब देंहटाएंमैं रितेश जी पूरी तरह सहमत हूँ, हर बात को मजाक बना देना हमारी आदत हो गई है, कोई अगर दिल से भी हमारे करीब आए तो हम बिना कुछ समझे उसका हौसला तोड़ने में लग जाते हैं...वो अगर भारत को करीब से देखना चाहते हैं, जानना चाहते हैं तो ये उनका हक़ है, अगर पी एम बन्ने के इरादे से भी कर रहे हैं तो ये उन्हें डिज़र्व करता है, कौन है जो उनके समकक्ष खड़ा हो सके, नंगे भूखे नेता जो कुर्सी मिलते ही नोच खसोट में लग जाते हैं...राहुल हमारा भविष्य हैं.प्लीज़ उन्हें सीखने दीजिये, उन्हें हौसला दीजिये, न कि उनका मजाक बनाइये...
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